आबकारी नीति में आबकारी एवं कराधान विभाग के पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करने और लाइसेंस प्राप्त करने से संबंधित ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) की पहल पर जोर दिया गया है। इसके तहत प्रत्येक गतिविधि के लिए समय सीमा तय की गई है। निर्यात के लिए लेबल और अनुमतियों का नवीनीकरण स्वचालित होगा। समय सीमा समाप्त या जब्त बीयर का निपटान भी ब्रेवरीज के निस्सार उपचार संयंत्र (ईटीपी) के माध्यम से पर्यावरण-अनुकूल तरीके से किया जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कम से कम 20 प्रतिशत शराब कांच की बोतलों में बेची जाएगी। शराब निर्माताओं को 180 एमएल के टेट्रा पैक्स(बायोडिग्रेडेबल) में आईएमएफएल के विपणन को मंजूरी दी गई है।उपभोक्ताओं को कम दरों पर बेहतर देशी शराब प्रदान करने के लिए सुपीरियर 65 डिग्री प्रुफ देशी शराब लॉन्च करने की अनुमति दी गई है और इसे राज्य आधारित डिस्टिलरीज़ द्वारा बेचा जाएगा। राज्य में सीएसडी कैंटीन के माध्यम से बेची जाने वाली रम पर आबकारी शुल्क को 61 रुपए प्रति प्रुफ लीटर तक कम करके सशस्त्र बलों की उम्मीदों को पूरा किया है।
उपभोग को तेज़ करने के बजाए हल्की शराब के प्रति आकर्षित करने के लिए राज्य ने माइक्रो ब्रेवरीज को हार्ड लिकर के लिए अनिवार्य लाइसेंस मांगे बिना लाइसेंस का विकल्प चुनने की अनुमति दी है। मॉल्स और गुरुग्राम, फरीदाबाद एवं पंचकूला में लाइसेंस प्राप्त शॉपिंग क्षेत्रों में स्टेट ऑफ आर्ट आउटलेट की स्थापना की मंजूरी दी गई है।
राजस्व को अधिकतम करने के साथ ही पूरे उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आईएमएफएल, देशी शराब और बीयर पर आबकारी शुल्क को युक्तिसंगत भी बनाया है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, देशी शराब और आईएमएफएल के लिए वार्षिक अनिवार्य लिफ्टिंग कोटे को क्रमशः 10 से बढ़ाकर 10.5 करोड़ प्रुफ लीटर और 6 से बढ़ाकर 6.5 करोड़ प्रुफ लीटर किया गया है। दो वर्षों में हुई राजस्व वृद्घि को और बढ़ाने की योजना से शराब की बिक्री में एकाधिकार को समाप्त करने के लिए आयातित विदेशी शराब में और अधिक आपूर्तिकर्ताओं की अनुमति दी गई है।
अवैध शराब को रोकने को होगी इतने पुलिसकर्मियों की भर्ती
अवैध शराब का प्रचलन रोकने के लिए विभाग में 350 पुलिस कर्मियों की प्रतिनियिक्त की जाएगी। आबकारी नीति में बार और रेस्तरां विशेष रूप से भिवानी, कैथल, हिसार, जींद और फतेहाबाद जैसे शहरों में, बिक्री के लिए कड़े मानदंडों का प्रावधान किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वैध एल-2 तथा एल-13 लाइसेंसधारकों की प्रतिस्पर्धा में बोतलबंद शराब की बिक्री के लिए लाइसेंसों का गलत उपयोग न हो। विभाग में शीघ्र निपटारे के लिए जिला स्तर के अधिकारियों को कलेक्टर आबकारी का अधिकार दिया गया है। रिटेल जोन को प्रत्येक भौगोलिक पोजिशन में छः ठेकों के आकार में रखा गया है।
लोगों को घर पर आजीवन शराब का अधिक स्टॉक रखने की अनुमति के लिए लाइसेंस एल-50 को और अधिक किफायती बनाया गया है। अब यह लाइसेंस विभाग के पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन प्राप्त किया जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में, पूर्ववर्ती सब वेंड्स के अलावा, हर जोन में दो अतिरिक्त सब वेंड्स उपलब्ध करवाए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जोन के भीतर किसी प्रकार से अवैध शराब की बिक्री न हो। ग्रामीण क्षेत्रों में, 5000 से अधिक की आबादी वाले गाँवों को अतिरिक्त सब वेंड की अनुमति होगी।
इन क्षेत्रों में नहीं होगी शराब बेचने की मंजूरी
किसी जोन के आरक्षित मूल्य से 25 प्रतिशत अधिक की बोली लगाने के इच्छुक संभावित लाइसेंसधारकों की सुविधा के लिए, धरोहर राशि जमा (ईएमआई) को 21 प्रतिशत की बजाय 15 प्रतिशत किया गया है। निर्धारित समय में इस आशय का प्रस्ताव पारित करने वाली 57 पंचायतों में शराब नहीं बेची जाएगी। पवित्र शहरों- थानेसर नगरपालिका सीमा और पेहोवा में भी शराब नहीं बेची जाएगी। जिन गांवों में कन्या गुरुकुल चल रहे हैं, वहां भी बेचने की अनुमति नहीं होगी।