स्कूलों ने की है करोड़ों की कमाई ‘हरियाणा स्कूल पैरेंट्स वेल्फेयर लीग’ की तरफ से एडवोकेट प्रदीप रापड़िया ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अभिभावकों का पक्ष रखा, और बहस के दौरान कोर्ट को बताया कि निजी स्कूलों के पास रिजर्व फंड और छह माह की प्लेज मनी है और अधिकांश निजी स्कूल बहुत सालों से करोड़ों रुपयों का सालाना लाभ भी अर्जित कर रहे हैं। इस भयंकर महामारी के दौरान बच्चों पर फीस व अन्य फंडों का बोझ नहीं लादा जा सकता, जबकि स्कूलों का संचालन इन मदों में रिर्जव फंड से किया जा सकता है। सुनवाई के दौरान अभिभावकों की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि सभी निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय में एजुकेशन एक्ट 1995 के सेक्शन 17(5) के तहत ऑडिट बैलेंस सीट तक जमा नहीं करा रहे हैं।
अभिभावकों को पक्ष जानना आवश्यक सुनवाई के दौरान निजी स्कूलों ने अभिभावकों के संगठनों के इस मामले में हस्क्षेप करने पर भी सवाल थे, जिस पर कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सुनवाई की जल्दी नहीं है, और अभिभावकों का पक्ष जानना भी आवश्यक है।
पंजाब की तर्ज पर 70 फीसदी फीस की मांग निजी स्कूल हरियाणा सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने पर भी फीस और अन्य फंड लेने की अनुमति के लिए पहुंचे थे। निजी स्कूलों का तर्क था कि उनके पास स्टॉफ की सैलरी और संचालन के लिए कोई फंड नहीं है। निजी स्कूल पंजाब की तर्ज पर 70 फीसदी फीस की मांग कर रहे थे। ‘सबका मँगल हो’ संस्था के बैनर तले बनी ‘हरियाणा स्कूल पैरेंट्स वेल्फेयर लीग’ व अन्य अभिभावक संगठनों ने कोविड-19 के दौरान बच्चों से फीस व अन्य फंड वसूली का विरोध किया था।