इसलिए फंस गया पेंच
सरकार का दावा है कि पूर्व समय के दौरान बहुत से ब्राह्मणों को दान में रूप में लोगों ने व्यक्तिगत जमीन के साथ-साथ पंचायती जमीन भी दे डाली। अब तक सरकार द्वारा व्यक्तिगत जमीनों की रजिस्ट्री तो की जा चुकी है लेकिन पंचायती जमीनों को लेकर पेंच फंस गया है। प्रदेश सरकार ने सिर्फ ऐसी जमीनों पर ब्राह्मणों को मालिकाना हक नहीं देने का निर्णय लिया है, जो सरकारी है, लेकिन कुछ लोगों ने उसे दान में मिली बताकर बरसों से कब्जे कर रखे हैं। विभिन्न जिलों में इन जमीनों पर जब प्रशासनिक अधिकारियों ने मालिकाना हक देने में रोड़ा अटकाया तो विवाद बढ़ गया है।
इन्होंने उठाए मामले
बादली से विधायक कुलदीप वत्स ने धौली की जमीनों पर ब्राह्मणों को मालिकाना हक नहीं मिलने का मुद्दा उठाया है। उनकी दलील है कि सरकार की तरफ से जिला प्रशासन को निर्देश गए हैं कि धौली की जमीनों के मालिकाना हक प्रदान न किए जाएं। फरीदाबाद एनआइटी के कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा और गन्नौर के पूर्व विधायक कुलदीप शर्मा ने भी ब्राह्मणों को जमीनों का मालिकाना हक नहीं मिलने पर आपत्ति जताई है।
पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा और मौजूदा परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ब्राह्मणों को दान में मिली (धौली की) जमीनों को मालिकाना हक के बारे में स्थिति साफ करने को मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात करेंगे। दोनों ब्राह्मण नेताओं ने इस बारे में राजस्व मंत्री के नाते डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से भी बात करने की तैयारी की है।
ब्राह्मण विरोधी सरकार से सदन में मांगेंगे जवाब
यह सरकार ब्राह्मण विरोधी है। कभी कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में ब्राह्मण विरोधी सवाल पूछती है तो कभी ब्राह्मणों को दान में मिली जमीनों का मालिकाना हक नहीं देती है। इस फैसले को हमने लागू किया था कि ब्राह्मणों को दान में मिली जमीनों का मालिकाना हक मिले। हम और हमारी पार्टी के विधायक इस मुद्दे पर सदन में सरकार की घेराबंदी करेंगे।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व सीएम, हरियाणा
रणदीप सुरजेवाला, मीडिया प्रभारी, एआईसीसी