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अंबानी V/s अंबानी : भाइयों की संपत्ति में 12 साल में 12 गुना अंतर

Published: Oct 07, 2017 12:54:03 pm

Submitted by:

Sachin Shrivastava

12 साल पहले जब मुकेश और अनिल अंबानी अलग हुए थे तो दोनों के पास एक सामान संपत्ति थी। आज मुकेश के पास अनिल से 12 गुना संपत्ति ज्यादा है

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धीरूभाई अंबानी के दोनों बेटों की उम्र में महज दो साल का फर्क है, लेकिन उनकी सोच एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत है। फोब्र्स की ओर से जारी की गई भारतीय अमीरों की ताजा सूची में यह फर्क 44 पायदान का है। सूची में मुकेश अंबानी जहां देश के सबसे अमीर शख्स हैं, वहीं अनिल 45वें क्रम पर हैं। 12 साल पहले जब दोनों भाइयों ने अपने बिजनेस की शुरुआत की थी, तब कहा जा रहा था कि भविष्य अनिल के हाथों में है। हालांकि उस वक्त भी किसी को मुकेश अंबानी की कारोबारी समझ और शैली पर संदेह नहीं था। बीते 12 सालों में कारोबार की दुनिया काफी बदली है और लगभग बराबरी से पर खड़े इन दोनों भाइयों के बीच संपत्ति का फासला भी 12 गुना बढ़ गया है।

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1- कहां से शुरू किया था दोनों ने सफर?

अनिल अंबानी ने अपने पिता की कंपनी को 1983 में बतौर को-चीफ एग्जियूकेटिव ऑफिसर ज्वाइन किया था। पहली बार अनिल ने ही कंपनी की अंतरराष्ट्रीय बाजार में जमा, प्रतिभूति और बॉन्ड के जरिये सार्वजनिक पहुंच बनाई और इसी की बदौलत उदारीकरण की शुरुआत के पहले 1991 में रिलायंस का विदेशी फाइनैंस मार्केट 120 अरब रुपए का हो चुका था। मुकेश अंबानी ने 1981 में रिलायंस में अपने कॅरियर की शुरुआत की। तब वे टेक्सटाइल बिजनेस में दाखिल हुए। 60 से ज्यादा नई विश्वस्तरीय निर्माण इकाइयों के साथ उन्होंने रिलायंस मैन्यूफैक्चरिंग की क्षमता को 10 लाख टन प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 1.20 करोड़ टन प्रति वर्ष तक पहुंचाया।
2- अलग होने के बाद क्या हुआ दोनों की कारोबारी दुनिया में?

2005 में मुकेश और अनिल की कारोबारी राहें अलग हुईं। तब मुकेश और अनिल अंबानी के पास लगभग बराबर संपत्ति थी। चूंकि अनिल को जो कंपनियां मिली थीं उनमें अंबानी परिवार का शेयर मुकेश की कंपनियों के मुकाबले कम था। इसलिए अनिल को एक बड़ी रकम नकद भी दी गई थी। मुकेश के पास निर्माण, तेल रिफाइनरी और टैक्सटाइल जैसे मूल बिजनेस थे, तो अनिल का दांव टेलीकॉम, एनर्जी और इंटरटेनमेंट जैसे भविष्य के बिजनेस पर था। यानी अनिल के पास भविष्य के कारोबार की जमीन और बड़ी नकदी थी। 12 साल बाद दोनों के बीच का फर्क काफी बढ़ चुका है। इस बीच मुकेश ने अपने मूल कारोबार में मुनाफे को सूत्र बनाया। वहीं अनिल ने कई क्षेत्रों में पैसा लगाया।
3- क्या फर्क है दोनों भाइयों की शख्सियत में?

मुकेश अंतर्मुखी हैं और बाहरी दुनिया के लोगों से ज्यादा मेलजोल में असहज महसूस करते हैं। वहीं अनिल को ग्लैमर लुभाता है। मुकेश के लिए कारोबार अपने आप में पूरी दुनिया है, तो अनिल के लिए कारोबार अपनी सोच को पूरा करने का जरिया। मुकेश के विपरीत अनिल अपनी फिटनेस को लेकर भी काफी संजीदा रहते हैं। अनिल के दोस्तों की फेहरिस्त में बॉलीवुड, राजनीति से लेकर क्रिकेट जगत तक की बड़ी हस्तियां शुमार हैं। वे एक बार राज्यसभा में भी जा चुके हैं। अनिल अपने संबंधों को छुपाते भी नहीं हैं। वहीं मुकेश सीधे तौर पर किसी राजनीतिक दल से संबंद्ध नहीं हैं और उनकी दोस्तियों में कारोबारी नफा-नुकसान प्राथमिकता होती है। मुकेश अपने सार्वजनिक जीवन में मेल-जोल को लेकर सचेत रहते हैं।
4- बिजनेस के तौर-तरीके कैसे हैं अलग दोनों भाइयों के?

मुकेश अंबानी की कारोबारी समझ में उनके पिता धीरूभाई अंबानी की झलक साफ दिखती है। उनकी शैली और रणनीतियां अपने पिता की तरह हैं। मुकेश बड़े पैमाने पर कारोबार को तरजीह देते हैं। रिलायंस रीटेल, रिलायंस पेट्रोलियम और अब हाल ही में जियो इसके उदाहरण हैं। वहीं दूसरी ओर अनिल अपनी फाइनैंस की विशेषज्ञता के साथ प्रयोगों में यकीन रखते हैं। वे नए दौर के व्यावसायिक सिद्धांतों पर यकीन रखते हैं और उन्हीं के अनुसार एडीएजी समूह की कंपनियों को चला रहे हैं।
5- क्या होगा अगर अनिल—मुकेश का बिजनेस हो जाए एक और साथ काम शुरू कर दें?

बीते 12 सालों में यह सवाल कई तरह से सामने आता रहा है। अगर दोनों भाइयों का बिजनेस एक होता है, तो वे संयुक्त रूप से दुनिया के सबसे अमीर शख्स होंगे। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों की सोच का अंतर बहुत ज्यादा है और वे एक साथ काम करने की स्थिति में नहीं हैं। हालांकि हाल में अनिल अंबानी ने कहा था कि रिलायंस जियो और रिलायंस टेलीकॉम वर्चुअली एक साथ काम कर रही हैं। इसलिए इस स्थिति को एकदम नकारा भी नहीं जा सकता।
6- कैसे हैं दोनों परिवारों के रिश्ते और बच्चों के बीच संबंध?

बीते साल पूरा अंबानी परिवार राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में एक साथ उपस्थित था। मौका था धीरूभाई अंबानी को मरणोपरांत दिए गए पद्म पुरस्कार का। करीब एक घंटे के कार्यक्रम के दौरान अनिल और मुकेश एक ही कतार में करीब बैठे थे और दोनों ने कई बार एक-दूसरे से बातचीत की। माना जाता है कि 12 साल पहले की कारोबारी कड़वाहट निजी रिश्तों से जा चुकी है और अब दोनों भाई महज कारोबारी प्रतिद्वंद्वी हैं। मुकेश-अनिल के बच्चों के बीच भी संबंध खराब नहीं हैं। दोनों परिवार के कॉमन दोस्तों की तादात भी अच्छी खासी है।
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