script1965 युद्ध: अगर सरकार ने उठाया न होता ये कदम, तो आज लाहौर होता भारत का हिस्सा | 1965 war: The Indian army had to return from Lahore due to ceasefire | Patrika News

1965 युद्ध: अगर सरकार ने उठाया न होता ये कदम, तो आज लाहौर होता भारत का हिस्सा

Published: Sep 22, 2017 09:40:24 pm

Submitted by:

ashutosh tiwari

भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965 में भारतीय सेना के वीरों की कहानी।

1965 Indo-Pak
नई दिल्ली। 1965 के युद्ध के शुरुआती दिनों में पाकिस्तान कश्मीर को अपने कब्जे में करने का सपना देख रहा था। लेकिन कुछ ही दिनों में पाकिस्तान के लिए अपने शहरों को बचाना मुश्किल हो गया है।
आलम यह था कि भारतीय सेना लाहौर और सियालकोट पर पूरी तरह से कब्जा जमाने की स्थिति में पहुंच चुकी थी। कुछ सैनिकों ने तो लाहौर पहुंच कर पुलिस स्टेशन के सामने तस्वीर भी खिंचवाई थी।
अटारी के रास्ते लाहौर पहुंची थी भारतीय सेना
जैसे ही 1965 की लड़ाई का बिगुल बज वैसे ही भारतीय सेना ने शिमला में तैनात अपनी 9 जैकलाई पलटन को अमृतसर पहुंचने का आदेश दे दिया। हाई कमान की ओर से आदेश आते ही रातों-रात भारतीय सेना के जवान अमृतसर के बाघा बार्डर पर पहुंच गए।
सेना ने प्लान बनाते हुए तुरंत सैनिकों को निर्देश दिए कि पाकिस्तान सेना पर हमला बोलते हुए जहां तक आगे बढ़ा जा सकता है वहां तक बढ़ा जाए। 9 जैकलाई के जवानों ने पूरे दमखम के साथ पाकिस्तान पर जबरदस्त हमला किया। भारतीय सेना पाकिस्तान में घुस कर लाहौर की ओर बढ़ रही थी।
इसी बीच खबर आई कि भारतीय सेना के टुकड़ी को पाकिस्तानी सेना ने घेर लिया है। जिस वजह से भारतीय सेना को कुछ दूर पीछे हटना पड़ा। इसी बीच पाकिस्तानी वायुसेना ने भारतीय सेना की मोर्टार कंपनी हमला किया, जिसमें 79 जवान शहीद हो गए।
इस हमले के बाद भी भारतीय सेना का हौसला नहीं टूटा और हमारे जवान लाहौर की ओर बढ़ते रहे। इस बीच दोनों देशों ने सीजफायर की घोषणा हो गई, जिस वजह से भारतीय सेना को वापस आना पड़ा।
अगर सरकार ने सीजफायर नहीं किया होता तो भारतीय सेना लाहौर और सियालकोट पर कब्जा जमा चुकी होती। इस युद्ध में पाकिस्तान को कड़ी हार का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान के पैटन टैंक भी उसके सैनिकों को काम नहीं आ सके।
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