जबलपुर

2021 में रातों रात बदले बोर्ड, निगम में तब्दील हुईं सरकारी आयुध निर्माणियां

2021 में रातों रात बदले बोर्ड, निगम में तब्दील हुईं सरकारी आयुध निर्माणियां

जबलपुरDec 30, 2021 / 01:13 pm

Lalit kostha

government ordnance factories

जबलपुर। शहर की आयुध निर्माणियों के लिए वर्ष 2021 भारी उलटफेर वाला साबित हुआ। केंद्र सरकार ने आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) का विघटन कर दिया है। जबलपुर की चारों आयुध निर्माणियों में सेना के लिए अलग-अलग प्रकार के हथियार, गोला-बारूद एवं वाहन तैयार होते हैं। जब निगम बना तो यहां की चारों आयुध निर्माणियां भी चार निगमों के अधीन हो गईं। इनमें कार्यरत पंद्रह हजार से ज्यादा कर्मचारी भी निगम के कर्मचारी हो गए। अब नई व्यवस्था के तहत उत्पादन हो रहा है। इस बीच विरोध न हो, इसकेलिए सरकार सीमित समय के लिए कानून लाई, जिसमें कर्मचारी या कर्मचारी संगठन हड़ताल का समर्थन या आह्वान करता है तो उसे जुर्माना के साथ ही सजा भी हो सकती है। ऐसे में निगमीकरण के खिलाफ आंदोलन भी रुक गए थे।

दशकों बाद बदलाव, कर्मचारियों के विरोध पर भी लगी पाबंदी

जीआइएफ ने बनाई तोप
कलपुर्जों की ढलाई करने वाली ग्रे आयरन फाउंड्री (जीआइएफ) ने पहली बार शारंग तोप तैयार की। यह पहला मौका है जब निर्माणी ने अलग हटकर काम किया। इस तोप का लॉन्ग पू्रफ रेंज खमरिया में परीक्षण भी हुआ। यह सफल था। इस बीच शहर में जीसीएफ और वीएफजे के बाद जीआइएफ तीसरी निर्माणी बन गई जिसने शारंग तोप तैयार की।

विदेशों से वाहन की मांग
आयुध निर्माणियों में बने उत्पादों की न केवल भारतीय सेना, बल्कि विदेशों में भी मांग है। वीएफजे में बने सुरंगरोधी वाहनों की मांग बांग्लादेश तक से आई। इस देश का एक प्रतिनिधिमंडल वीएफजे पहुंचा था। उसने इस वाहन की खूबियों को अधिकारियों से समझा। माना जा रहा है कि वीएफजे को इस वाहन के निर्यात का ऑर्डर मिल सकता है।

पहली बार लम्बी प्रदर्शनी
आजादी के अमृत महोत्सव पर आयुध प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यह पहला मौका था कि आमजनों के लिए लगातार सात दिन के लिए प्रदर्शनी लगाई गई। लोगों को जीसीएफ, वीएफजे, ओएफके और जीआईएफ में बने रक्षा उत्पादों को देखने का मौका मिला। पहली बार एलपीआर में आम लोगों को तोपों की लाइव फायरिंग दिखाई गई।

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