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अलवर

विद्यार्थी बीमा कराने में भी आनाकानी

राज्य सरकार की आेर से प्रारम्भ की गई विद्यार्थी दुर्घटना बीमा योजना गैर सरकारी स्कूलों के प्रबंधकों की मनमर्जी और लापरवाही से अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो रही है। इस योजना में अलवर जिले में मात्र ७३ गैर सरकारी स्कूलों ने ही विद्यार्थियों का दुर्घटना बीमा करवाया है।

अलवरMar 25, 2019 / 01:47 pm

Hiren Joshi

50 rupees student also insists in insurance

विद्यार्थी बीमा कराने में भी आनाकानी

राज्य सरकार की आेर से प्रारम्भ की गई विद्यार्थी दुर्घटना बीमा योजना गैर सरकारी स्कूलों के प्रबंधकों की मनमर्जी और लापरवाही से अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो रही है। इस योजना में अलवर जिले में मात्र ७३ गैर सरकारी स्कूलों ने ही विद्यार्थियों का दुर्घटना बीमा करवाया है।
इस योजना में गैर सरकारी स्कूलों के ४० हजार विद्यार्थी ही इस दायरे में आए हैं। यह योजना मात्र स्कूली विद्यार्थियों के लिए नहीं बल्कि सभी महाविद्यालयों पर भी लागू होती है। राज्य सरकार की आेर से प्रदेश में वर्षों से विद्यार्थी दुर्घटना बीमा योजना संचालित हो रही हैं। इस योजना में विद्यार्थी की मौत होने पर एक लाख रुपए और आंशिक विकलांग होने पर चिकित्सक की सिफारिश के आधार पर राशि प्रदान की जाती है।
इसके लिए कक्षा १ से १० वीं तक के विद्यार्थियों के लिए प्रीमियम ५० रुपए है जबकि महाविद्यालयी कक्षाओं के लिए इसका प्रीमियम १०० रुपए प्रति विद्यार्थी है। इस बीमा योजना के दायरे में सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालय और महाविद्यालय सभी आते हैं। गैर सरकारी महाविद्यालयों में बीएड कॉलेज, डिग्री कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज आदि सभी शामिल हैं। हालात यह हैं कि जिले में ७३ स्कूलों ने ही विद्यार्थियों का बीमा कराया है जबकि गैर सरकारी महाविद्यालयों को इस बीमे से कोई लेना-देना नहीं है। इसका नुकसान जब अभिभावकों को उठाना पड़ता है जब किसी अनहोनी में विद्यार्थी की मौत हो जाती है। एेसे में यह बात सामने आती है कि ५० रुपए प्रीमियम से बीमा कराया होता तो परिजनों को बीमा राशि मिल सकती थी जो इसके हकदार थे। सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के बीमे का प्रीमियम सरकार वहन करती है।
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