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POLAR ICE MELTING : तीन दशक में पिघल गई दुनिया की 68 फीसदी बर्फ, कारण चौंकाने वाला है

Published: Jan 29, 2021 01:13:45 am

Submitted by:

pushpesh

-1990 में 80 हजार करोड़ टन प्रति वर्ष की दर से बर्फ पिघल रही थी, जो 2017 में बढकऱ 130,000 करोड़ टन हो गई।

POLAR ICE MELTING : तीन दशक में पिघल गई दुनिया की 68 फीसदी बर्फ, कारण चौंकाने वाला है

1994 से 2017 के बीच 28,00,000 करोड़ टन बर्फ पिघल चुकी है।

वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण धु्रवीय बर्फ पिघलने के नित नए चौंकाने वाले आंकड़े आ रहे हैं। हाल ही जर्नल ‘क्रायोस्फीयर’ में शोधकर्ताओं ने बताया है कि इस वक्त बर्फ पिघलने की गति सबसे अधिक है। शोध में पता चला है कि 2017 में 1990 की तुलना में 65 फीसदी तेजी से बर्फ पिघल रही है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 1994 से 2017 के बीच 28,00,000 करोड़ टन बर्फ पिघल चुकी है। ये इतने बर्फ है, जिससे पूरे इंग्लैंड पर 100 मीटर मोटी बर्फ की चादर बिछाई जा सकती है। इस दौरान पहाड़ों से 610, 000 करोड़ टन, ग्रीनलैंड से 380,000 करोड़ टन और अंटार्कटिका से 250,000 करोड़ टन बर्फ पिघली थी।
प्रति वर्ष कितनी बर्फ पिघल रही
40 हजार करोड़ टन ग्लेशियर प्रतिवर्ष खत्म हो रहे हैं।
29,400 करोड़ टन बर्फ पिघल रही है आइसलैंड में
12,700 करोड़ टन बर्फ पिघल रही अंटार्कटिका में
13.01 फीसदी प्रत्येक दशक में कम हो रही बर्फ आर्कटिक में
-1980 के बाद वातावरण में 0.26 और समुद्र में 0.12 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से तापमान बढ़ रहा है।
-68 फीसदी बर्फ पिघली है, जबकि 32 फीसदी समुद्रों में जमा बर्फ में कमी आई है।
इन स्थानों पर किया अध्ययन
वैज्ञानिकों ने दुनिया के 215,000 ग्लेशियर्स, अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड में बर्फ की चादर और दक्षिणी महासागारों में समुद्र में मौजूद बर्फ का अध्ययन किया है।

क्या होगा असर
बर्फ पिघलने की यह गति रही तो समुद्रों का जलस्तर बढ़ जाएगा। तटीय क्षेत्र जलमग्न होने से बड़ी आबादी को पलायन करना पड़ेगा। प्राकृतिक आवास खत्म होने से वन्यजीवों पर बुरा असर पड़ेगा।
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-जिस तेजी से बर्फ पिघल रही है, उसके परिणाम इसी सदी में महसूस किए जाएंगे। तटीय आबादी पर बड़ा संकट आ सकता है।
-थॉमस स्लेटर, मुख्य शोधकर्ता, लीड्स विवि, ब्रिटेन

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