दो-तिहाई महिलाओं ने कहा कि उन्हें बच्चों की देखभाल करने में अपने जीवनसाथी का भावनात्मक और वित्तीय सहयोग भी मिलता है। वहीं तीन-चौथाई महिलाओं ने कहा कि 25 फीसदी घरेलू कामों में उनके पति सहयोग करते हैं। सर्वेके अनुसार जीवनसाथी द्वारा साझा किया गया घर का कुल कार्यभार लगभग 15 फीसदी है जबकि वीकेंड्स पर महिलाओं पर औसतन काम का बोझ 23 प्रतिशत था। अध्ययन की सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि 85 फीसदी कामकाजी मिलेनियल मदर्स (महानगरों में) विरले ही घर पर खाना बनाती हैं। लेकिन जब भी उन्होंने खाना बनाती हैं तो उनमें से 80 प्रतिशत हमेशा शाकाहारी भोजन ही पकाती हैं। वीं यह भी सामने आया कि 30 सालसे ज्यादा उम्र की मिलेनियल मदर्स ने भी घर पर बहुत कम खाना बनाया है। जबकि दो-तिहाई ने कहा कि वे परिवार के लिए नियमित रूप से पौष्टिक खाना पकाती हैं।
अध्ययन में यह भी सामने आया कि 80 फीसदी कामकाजी मिलेनियल मदर्स सोशल मीडिया ऐप वॉट्स ऐपपर सक्रिय हैं। जबकि 97 फीसदी टीवी, 91 फीसदी फेसबुक और 85 फीसदी समाचार पत्र इन महिलाओं के ऑनलाइन कंटेट के तहन प्रमुख स्रोत हैं। एक खास बात यह भी सामने आई कि भले ही कामकाजी महिलाएं समय की कमी के चलते खाना न बना पाती हों लेकिन वे उनका परिवार हमेशा पौष्टिक भोजन ही खाए इस बात का वे सदा ध्यान रखती हैं। अधिकांश महिलाओं ने यह भी बताया कि श्रृंगार और अच्छी तरह से तैयार होना उनकी प्राथमिकता थी।