script9 Lakh Crore lost in Stock Market: 5 कारण जिससे शेयर बाजार से लेकर कमोडिटी बाजार में रहा घबराहट का दिन | 9 Lakh Crore lost in Stock Market, Here are Five Reasons why, how? | Patrika News

9 Lakh Crore lost in Stock Market: 5 कारण जिससे शेयर बाजार से लेकर कमोडिटी बाजार में रहा घबराहट का दिन

locationजयपुरPublished: Dec 20, 2021 06:10:03 pm

Submitted by:

Swatantra Jain

आज शेयर बाजार में घबराहट और भगदड़ का दिन रहा तो कमोडिटी बाजार में भारी अफरातफरी रही। ओमीक्रोन को लेकर वैश्विक चिंताओं के बीच शेयर बाजार 1849 अंक तक लुढ़क गया। दूसरी तरफ सरकार ने 7 एग्री कमोडिटी की ट्रेडिंग पर रोक लगा दी, जिससे एनसीडीईएक्स और कमोडिटी बाजार में भारी अफरातफरी रही।

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सोमवार 20 दिसंबर का दिन कमोडिटी बाजार में काला दिवस के रूप में याद किया जाएगा, तो वहीं 20 दिसंबर का दिन शेयर बाजार के लिए भी ब्लैक सोमवार का दिन रहा। अप्रैल 2020 के बाद पहली बार चीन द्वारा उधारी दर में कटौती के बाद वैश्विक बाजारों में कमजोरी का असर भारत के शेयर बाजार पर पड़ता देखा गया।
आज 20 दिसंबर को अप्रैल 2021 के बाद से बेंचमार्क सूचकांकों में सबसे बड़ी एकल-दिवस गिरावट देखी गई। एक बजकर दो बजे तक बीएसई सेंसेक्स 1,849 अंक या 3.24 प्रतिशत
गिरकर 55,162.50 पर आ गया और निवेशकों के 9 लाख करोड़ डूब गए। दूसरी तरफ कमोडिटी बाजार में भी मोदी सरकार द्वारा सात कमोडिटीज पर वायदा कारोबार की रोक लगाए जाने से 20 दिसंबर का दिन काला दिवस बन गया।
दिन की शुरुआत कमोडिटी बाजार पर एक बेहद अहम खबर से हुई। खबर आई कि वित्त मंत्रालय ने कमोडिटी के वायदा कारोबार के संबंध में एक अहम निर्णय लिया है। वित्त मंत्रालय की आवश्यक वस्तुओँ की खाद्य उपलब्धता और महंगाई की समीक्षा समिति ने 19 दिसंबर को देर रात जारी एक आदेश के जरिए कमोडिटी बाजार में सात कमोडिटीज के वायदा कारोबार से तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। अब कोई भी ट्रेडर्स इनमें नई पोजिशन नहीं ले सकेगा, सिर्फ पुरानी पोजिशन को कट सकते हैं। माना जा रहा है कि खाद्य तेल और अनाजों में बढ़ती महंगाई की चिंता को लेकर ये रोक लगाई गई है। वित्त मंत्रालय की ओर से सेबी यानी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया को दिए गए आदेश में कहा गया है कि तत्काल प्रभाव से यानी आज 20 दिसंबर से निम्न सातकमोडिटीज के वायदा कारोबार पर रोक लगाई जा रही है और ये रोक एक साल तक रहेगी। ये कमोडिटी इस प्रकार हैं
1. चावल (गैर बासमती)
2. गेहूं
3. चना
4. सरसों का तेल और इसके उत्पाद
5. सोयाबीन और इसके उत्पाद
6. कच्चा पॉम ऑयल
7. मूंग

बता दें इनमें चना और सरसों पर पहले से ही तात्कालिक रोक लगी हुई थी और अब सरकार के आदेश से साफ हो गया है कि ये रोक एक साल तक रहेगी। सरसों और चना राजस्थान की
प्रमुख फसलें हैं। इस सात कमोडिटीज के वायदा कारोबार पर रोक के बाद अब जौ, बाजरा, मक्‍का, कैस्‍टर, मसाला काम्‍पलैक्‍स, ग्‍वार काम्‍पलैक्‍स, कॉटन सीड ऑयल केक, कपास,
कॉटन, जीरा ही एग्री कमोडिटीज श्रेणी से वायदा कारोबार में ट्रेडिंग के लिए बचे हैं। माना जा रहा है कि इससे वायदा कारोबार करने वाले ट्रेडर्स को बड़ा नुकसान होगा।
शेयर बाजार में तबाही तो फ्यूचर ग्रुप के शेयर में अपर सर्किट
वहीं सुबह नौ बजे तक साफ हो चुका था कि आज शेयर बाजार में भी गिरावट रहेगी। यही हुआ। शेयर बाजार करीब 800 अंकों से अधिक की गिरावट के साथ खुला। सप्ताह के पहले कारोबारी दिन शेयर बाजार बहुत भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स सेंसेक्स 1189.73 अंक (-2.09%) फीसद गिरावट के साथ 55,822.01 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 371.00 अंक (-2.18%) की गिरावट के साथ 16,614.20 के स्तर पर बंद हुआ। दुनिया भर में ओमीक्रोन के मामलों में बढ़ोतरी के प्रभाव से निवेशकों में घबराहट पैदा हुई है, जिससे वैश्विक इक्विटी में तीव्र बिकवाली हुई। सेंसेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट वाले शेयरों में टाटा स्टील रहा जिसमें 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट रही, इसके बाद एसबीआई, इंडसइंड बैंक, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक और एनटीपीसी का स्थान रहा। दूसरी ओर फ्यूचर ग्रुप (बिग बाजार रिटेल चैन के ओनर) के शेयरों में 20 प्रतिशत से अधिक की तेजी रही और इसमें अपर एचयूएल और डॉ रेड्डीज लाभ में रहे।
पांच कारणों से शेयर बाजार में 9 लाख करोड़ डूबे

दरअसल ओमीक्रोन पर चेतावनियों के बीच COVID-19 मामलों में विस्फोटक वृद्धि, विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निरंतर बिक्री और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में धीमी विकास गति ने दुनिया भर के बाजारों को हिला दिया है। शंघाई, हांगकांग, टोक्यो और सियोल में शेयर भारी नुकसान के साथ बंद हुए। यूरोप में स्टॉक एक्सचेंज भी मध्य सत्र के सौदों में लाल रंग में कारोबार कर रहे थे। इस बीच अंतरराष्ट्रीय तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 3.51 प्रतिशत गिरकर 70.94 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। इन सबके बीच भारत में महंगाई की चिंता के बीच मोदी सरकार द्वारा कमोडिटी बाजार में सात कमोडिटी में वायदा के रोक ने निवेशकों को हिला दिया। वहीं वर्ष के अंत में सौदों की कटान की वजह से भी बाजार में बिकवाल हावी रहे।
एमएसपी पर खरीद अनिवार्य नहीं किया तो किसानों को होगा नुकसान

मोदी सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत 7 एग्री कमोडिटीज पर एक झटके में रोक लगाए जाने से सिर्फ वायदा कारोबारियों को ही नुकसान नहीं होगा बल्कि सरकार द्वारा गठित इन जिंसों के फार्मर्स प्रोड्यूस ऑर्गनाइजेशन को भी नुकसान उठाना पड़ेगा। अगर सरकार ने इन फसलों पर जल्द ही एमएसपी पर खरीद को अनिवार्य नहीं किया तो किसानों को भी इन फसलों को घाटे में बेचना पड़ सकता है, क्योंकि वायदा बाजार बंद होने से अब प्राइस डिस्कवरी संभव नहीं होगी।
-कमल शर्मा, शेयर बाजार एक्सपर्ट

महंगाई से संबंध नहीं

इसका महंगाई पर कोई असर दिखना मुश्किल है। महामारी में हमेशा कमोडिटीज के भाव चढ़ते आए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी है। 2015 में चना पर वायदा कारोबार पर रोक लगाई गई थी तब भाव 8000 से चढ़कर 12000 हो गए थे। सरकार महंगाई रोकने के लिए और भी कई कदम उठा सकती थी।
अजय केडिया, कमोडिटी एक्सपर्ट (एमडी, केडिया एडवायजरी)

सरकार के इस कदम का क्या उद्देश्य है, ये तो वही बता सकती है, पर इसका महंगाई से कोई संबंध मेरी नजर में नहीं है।
पुखराज चौपड़ा, पूर्व उपाध्यक्ष, राजस्थान खाद्य पदार्थ संघ
मोदी सरकार के कदम का स्वागत, भाव होंगे कम

वहीं राजस्थान खाद्य पदार्थ संघ के अध्यक्ष बाबू लाल गुप्ता का कहना है कि सरकार के इस कदम से महंगाई कम होने के आसार हैं। उन्होंने पत्रिका को बताया कि मोदी सरकार के कदम का स्वागत है। फिलहाल भाव टूटेंगे और मंहगाई कम होगी।

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