केरल: कहा जाता है कि जानवर इंसान का सबसे बड़ा हितैषी होता है, खासतौर पर एक कुत्ते और इंसान के बीच का प्यार जगजाहिर है। ऐसे ही एक कुत्ते की कहानी वायरल हो रही है। इस मादा कुत्ते का नाम है मालू! जो एक तीर्थयात्री नवीन के साथ उसकी हमसफ़र बन कर 700 किलोमीटर तक पैदल चली गई। नवीन ने मालू को अपनी मूकाम्बिका (कुल्लूर) से सबरीमाला मंदिर तक की 700 किलोमीटर की पैदल यात्रा के दूसरे दिन देखा। नवीन को यह बिलकुल भी अंदाज नहीं था कि उन्हें ज़िन्दगी भर के लिए एक दोस्त मिल गया जो उसके हर सुख और दुःख में उसका साथ देगा।
वापस बात करें मालू की तो वह सिर्फ एक गली की कुतिया मात्र था, जिसे एक दाढ़ी वाले शख्श के साथ जाने की जिज्ञासा हो गई। अब इस कहानी में नई कड़ी भी जुड़ गई है। कुछ स्थानीय ख़बरों की मानें तो इस कुतिया ने 5 बच्चों को जन्म दिया है और ये पांच बच्चे और उनकी मां नवीन अपने साथ ही रख रहे हैं।
यह था मामला-
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक 38 वर्षीय नवीन जब अपनी 17 दिन की 700 किलोमीटर की यात्रा से वापस लौटे तब भी मालू (कुतिया्) उनके साथ थी। जो उन दिनों कदम से कदम मिला कर उनके साथ चली और जब उन्होंने 23 दिसम्बर को सबरीमाला से वापस अपने घर आने के लिए KSRTC बस ली, वो कुटिया उनके साथ उनके बगल की सीट पर सोते हुए वापस उनके घर तक आई। केरला स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के कर्मचारी नवीन ने अपनी यह यात्रा 7 दिसम्बर की सुबह शुरू की थी। यात्रा के दौरान वो उन कुत्तों से बच कर चल रहे थे जो उनके नजदीक आ रहे थे, खासतौर पर सुबह के घण्टों में, लेकिन उनके अनुसार मालू उन कुत्तों से कुछ अलग थी।
नवीन ने अंग्रेजी अखबार को दिए गए अपने इंटरव्यू में बताया कि वो लगभग 80 किलोमीटर ही चल पाए होंगे कि मैंने उसे नोटिस किया। वो विपरीत ओर से मेरे कदम से कदम मिला कर चल रही थी, मैंने उसे कई बार भगाने की कोशिश की, लेकिन वो नही गई। पता नहीं उसके दिमाग में क्या चल रहा था, पहले कुछ दिनों में वो मुझसे लगभग 20 मीटर की दूरी बना कर चली। नवीन ने बताया कि वो लगातार आगे जाते-जाते रूकती और वापस मेरी ओर देखती, जैसे कि मुझे रास्ता बता रही हो। कुछ देर बाद तो मैं भी उसे फॉलो करने लगा। कुछ देर के बाद वो मेरे साथ साथ चलने लगी और लगातार मेरे क़दमों को सूंघ भी रही थी।
नवीन ने बताया कि जब हमने कोज़्हेइकोडे पार किया तब मुझे लगा कि अब यह मेरा साथ नहीं छोड़ेगी। मालू बहुत ही चालाक कुतिया थी। वो बहुत ही धैर्य के साथ मेरा इन्तजार करती और और जब भी मैं खाना लेने या नहाने जाता तो उस वक्त वो मेरी पूजा की पोटली की रक्षा भी करती, वो मेरे साथ ही सोती थी।
नवीन सुबह 3 बजे से उठ कर दिन में लगभग 50 किलोमीटर चलते थे और रात में रुकने के लिए अपना आशियाना तलाश लेते थे। इस दौरान मालू सुबह के वक्त अलार्म का काम भी करती और समय पर अपने पैरों से उन्हें उठा भी दिया करती थी। नवीन को सबरीमाला से वापस अपने घर वापस आने के लिए वहां के लोकल अधिकारी से मदद लेनी पड़ी, जब नवीन ने उस अधिकारी मालू की कहानी बताई तो वह अधिकारी गदगद हो गया। उस अधिकारी ने मालू के लिए स्पेशल इंतजाम करते हुए 460 रूपये की टिकट उपलब्ध कराई जिससे कि वो सोते हुए वापस उनके साथ जा सके। नवीन ने बताया कि वो इतना थक चुकी थी कि उनके घर पहुँचने तक वो एक बार भी नहीं उठी।
अब मालू नाम की वो कुतिया उनके घर पर ही रहती है। नवीन ने उसके लिए एक लकड़ी का बड़ा सा घर बनाया है। नवीन के अनुसार यह उनकी और मालू की अतुलनीय यात्रा थी जिसे वो कभी नहीं भुला सकते।