बच्चों के स्वास्थ्य और बेहतर विकास के लिए पड़ोस का सबसे ज्यादा महत्त्व होता है। एक नए शोध में तो यही निष्कर्ष निकला है। ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने देश के 72 हजार जनगणना आंकड़ों का विश्लेषण कर यह जानने का प्रयास किया कि एक बच्चे के स्वस्थ्य और मानसिक विकास पर उसके पड़ोस का समय के साथ क्या प्रभाव पड़ता है।
शोध कहते हैं की बच्चे की सफलता और जीवनशैली पर उसके पड़ोस का भी गहरा प्रभाव पड़ता है
शोध के सह-लेखक क्लेमेंस नोएलके के अनुसार उपनगरीय क्षेत्र के बच्चों के मुकाबले मेट्रो शहरों के बच्चों में उनके पड़ोस के अलग-अलग प्रभाव देखने को मिले। शोध में उन्होंने बच्चों की पढ़ाई जैसे मानकों को परखा। उन्होंने अमरीका के 100 सबसे बड़े मेट्रो क्षेत्रों को शोध में शामिल किया क्योंकि इन्हीं शहरों में अमरीका के 67 फीसदी बच्चे निवास करते हैं।
श्वेत-अश्वेत का फर्क यहां भी शोधकर्ताओं ने कहा कि निष्कर्ष ने बहुत ज्यादा चौंंकाया नहीं। शोध के अनुसार श्वेत और अश्वेत बच्चों के बीच अवसर मिलने जैसे मानकों में काफी अंतराल था। देश के सबसे बड़े मेट्रो क्षेत्रों में, 46 प्रतिशत अश्वेत बच्चे और 32 प्रतिशत हिस्पैनिक (HYSPENIC स्पेनिश मूल के) बच्चों के आस-पास पड़ोस का महौल बहुत ज्यादा अवसर देने वाला नहीं था। यानि उन्हें पड़ोसियों की बहुत ज्यादा मदद नहीं मिलती थी। इसके अलावा, 7.6 गुना अश्वेत और 5.3 गुना हिस्पैनिक बच्चों के लिए यह बहुत अधिक संभावना है कि वे श्वेत बच्चों की तुलना में ऐसे पड़ोसी माहौल में ज्यादा रहते हैं जहां उन्हें आगे बढ़ाने के लिए बहुत कम अवसर मिलते हैं।
डेट्रायट में अच्छे माहौल पर शोधकर्ताओं ने पाया कि यहां 20 में से एक व्यक्ति गरीब है। लगभग तीन-चौथाई वयस्कों के पास कॉलेज की डिग्री थी और उनमें से लगभग 90 प्रतिशत कार्यरत हैं। वहीं 1 प्रतिशत से भी कम घर खाली हैं। जबकि उसी इलाके के दूसरे खराब माहौल वाले क्षेत्र में आधे से ज्यादा परिवार जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, 8 में से केवल 1 युवा के पास कॉलेज डिग्री है और 5 में से 3 ही नौकरी करता है। 28 फीसदी मकान यहां खाली पड़े हैं। हैरानी की बात यह है कि पहले मोहल्ले में रहने वाले 830 बच्चों में से 94 फीसदी बच्चे श्वेत हैं जबकि दूसरे मोहल्ले के 1000 बच्चों में से 94 फीसदी अश्वेत अमरीकी हैं।
पूरे अमरीका की बात करें तो 100 सबसे बड़े मेट्रो क्षेत्रों में बहुत कम अवसर वाले पड़ोस में रहने वाले लगभग 1 करोड़ बच्चों में 45 लाख हिस्पैनिक और 36 लाख अश्वेत बच्चे हैं। शोधकर्ताओं ने सह भी पाया खराब माहौल वाले पड़ोस में रहने वाले लोगों की उम्र अच्छे माहौल वाले पड़ोस में रहने वाले लोगों की तुलना में 7 साल कम होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि निष्कर्ष के अनुसार बच्चों की परवरिश पर पड़ोस के मौहौल का भी बहुत फर्क पड़ता है। इसलिए अपने घर और घर के आसपास बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाला माहौल बनाने की जिम्मेदारी आपकी ही है।