scriptकोटा में 15 हजार पेड़ों के बीच बसेगा वन्यजीवों का नया संसार | A new world of wildlife will live among 15 thousand trees in Kota | Patrika News

कोटा में 15 हजार पेड़ों के बीच बसेगा वन्यजीवों का नया संसार

Published: Aug 22, 2020 09:30:24 am

Submitted by:

Jaggo Singh Dhaker

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में हुआ गृह प्रवेश। तीन दशकों का इंतजार खत्म, पार्क में शिफ्ट होने लगे वन्यजीव।

कोटा. करीब तीन दशक के इंतजार के बाद वन्यजीव प्रेमियों का अभेड़ा बॉयोलॉजिकल पार्क का सपना साकार होता नजर आ रहा है। गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले शुक्रवार को पार्क में वन्यजीवों की शिफ्टिंग शुरू हो गई। पहले दिन पार्क में दो नर नील गाय व एक मादा चीतल को छोड़ा गया। विभाग के अधिकारियों के अनुसार नए घर में छोड़े गए वन्यजीवों के बर्ताव को देखते हुए धीरे-धीरे अन्य वन्यजीवों को इसमें शिफ्ट किया जाएगा। अभेड़ा पार्क को हराभरा बनाने के लिए एनटीपीसी अंता के सहयोग से 15 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं।
इसके अलावा 5 हजार पौधों के लिए 55.00 लाख का एम.ओ.यू.किया गया है। ये पौधे इसी सीजन में लगाए जाएंगे। अभेड़ा बायोलोजिकल पार्क 126 हैक्टेयर में बनाया गया है। पहले चरण में 17 पिंजरे बनाए गए हैं। इनमें एशियाटिक लॉयन, बंगाल टाईगर, पैंथर, जैकाल, इंडियन फ ॉक्स, इंडियन वुल्फ स्लॉथ बीयर, एवियरी बर्ड-केज, नग, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा को रखा जाएगा। कुल 44 एनक्लोजर्स बनाए जाने हैं। निर्माण के अगले चरण में 27 एनक्लोजर्स और बनाए जाएंगे। इसमें चौसिंघा, विभिन्न चिडिय़ा, विभिन्न प्रकार के सर्प, कछुए, मगरमच्छ, घडिय़ाल, लिजार्ड, जंगली बिल्ली एवं बंदर, लंगूर
के पिंजरे बनाए जाएंगे। अन्य वन्यजीवों में शेर, भालू, लोमड़ी व टाइगर लाने के प्रयास चल रहे हैं।
सहायक वन संरक्षक अनुराग भटनागर ने बताया कि पार्क को जल्द हर दर्शकों के लिए खोला जाएगा। इससे पहले सभी वन्यजीवों को पार्क में शिफ्ट किया जाएगा। इन वन्यजीवों का नई जगह पर व्यवहार परखा जाएगा। इसके बाद पर्यटकों व दर्शकों को जू दिखाया जाएगा।
इसलिए जरूरत थी नए घर की
नयापुरा स्थित जू वर्ष 1905 में स्थापित किया गया था। यह आकार में काफी छोड़ा है। केन्द्रीय जू प्राधिकारण के वन्यजीवों को जू में रखने के मापदंडों को यह पूरा नहीं करता। इसके पिंजरे व बाड़े भी छोटे हैं। यहां कुल 12 पिंजरे हैं। यह 2.20 हैक्टेयर में फैला हुआ है। प्राधिकरण ने नया जून बनने तक ही इसे अस्थाई तौर पर मान्यता दे रखी है। इस कारण नया चिडिय़ाघर बनाया जाना जरूरी था। वर्तमान में जू में पैंथर, भेडिय़ा, जरख, सियार, चीतल,सांभर, काले हिरण, घडिय़ाल, नीलगाय, चिंकारा, अजगर, बंदर व घडिय़ाल, मगरमच्छ, विभिन्न चिडियाएं जैसे पेलीकंस, सारस आदि हैं। इस प्राचीन चिडिय़ाघर में कई शेर व बाघ रहे हैं। यहां से अन्य जगहों पर भी वन्यजीवों को भेजा है।
यूं पकड़ी गति
-1988 में तत्कालिक वन अधिकारी ने अभेड़ा में बायोलॉजिकल पार्क बनाने का प्रस्ताव रखा।
-वन्यजीव सलाहकार समिति ने इसका अनुमोदन किया।
-1989 में वाइल्डलाइफ बोर्ड के विशेषज्ञों ने मौके का सर्वे किया।
-2005 में सीजेडए के निर्देशानुसार 10 करोड़ की लागत से जू बनाने के निर्देश दिए, लेकिन मामला अटका रहा।
– 2009 में तकनीक समिति का गठन कर कंसल्टेंट नियुक्त करने पर चर्चा हुई।
-2010 में कंसलटेंट ने यूआईटी को पार्क का प्लान बनाकर दिया। यह नगर विकास न्यास के माध्यम से वन विभाग के पास पहुंचा। इसके ले आउट प्लान में संशोधन चलते रहे।
फिर भी रही धीमी गति
क्षेत्र में नगर निगम का टेंचिंग ग्राउण्ड होने के कारण लंबे समय तक प्रोजेक्ट अटका रहा। करीब 3 वर्ष पहले पार्क व टें्रङ्क्षचग ग्राउंड के मध्य सघन ग्रीन बेल्ट विकसित करने की शर्त पर पार्क के निर्माण की स्वीकृति मिली। इसके बाद कार्य ने तेजी पकड़ी।
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