जबलपुर

ऐसा पुण्य अर्जित करिए जो कई पीढिय़ों तक खत्म न हो

दयोदय तीर्थ में आचार्यश्री विद्यासागर के प्रवचन

जबलपुरJun 10, 2019 / 12:50 am

Sanjay Umrey

aacharyshri ke pravachan

जबलपुर। शीत अथवा ऊष्णता का अनुभव जिसे हुआ है, यदि उससे पूछा जाए तो वह कहेगा कि बहुत शीतलहर चल रही है अथवा तापमान कितना ऊपर चला गया है। पारा 50 को छूने लगा है, उष्णता का अनुभव तापमान के कारण हो रहा है। यह सामान्य नियम है। विशेष नियम तो यह है कि गर्मी के अंदर भी सर्दी लग सकती है और ठंड में भी गर्मी का अनुभव हो सकता है। 50 डिग्री तापमान में भी शीत का अनुभव कैसे हो सकता है। यह हम बताते हैं, आपके भीतर नाम कर्म का उदय है यदि शीत नाम कर्म का उदय है तो आपको शीत का ही अनुभव होगा, भले ही तापमान 50 हो जाए, सुनकर या बड़ा अटपटा सा लग रहा है परंतु वास्तविकता यह है कि आप कर्म को मानते हैं कि नहीं, हम कर्म को भी मानते हैं और धर्म को भी मानते हैं आचार्य भगवान कहते हैं जो बाहर से देख रहे हैं वह कर्म है और भीतर के कर्म माने जाते हैं। यहां वह कर्म चेतना है।
उक्त उद्गार आचार्यश्री विद्यासागर ने दयोदय तीर्थ में रविवार को मंगल प्रवचन में व्यक्त किए।
आचार्यश्री ने कहा, मनुष्य किस तरह कार्य करता है, हम आज उस तरफ ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं। आपको लगेगा कि हल्दी लगे न फि टकरी और रंग चोखा। किसी के भी जीवन को देखिए तो कई रंग नजर आ जाएंगे। हर जीवन पूरी पुस्तक की तरह होता है। यह रंग होली का रंग होता है। बहिरंग और अंतरंग में रंग ही रंग हो जाए दूजा कोई रंग नजर न आए। आचार्यश्री ने कहा कि आपको ऐसा पुण्य अर्जित करना चाहिए जो कि कई पीढिय़ों तक खत्म न होने पाए। जब कभी आपके आंगन में डाकिया आए तो उसके बारे में गुस्सा कभी नहीं करनी चाहिए। वह तो माध्यम मात्र है कोई सूचना देने का। इसलिए हमें अपने कर्मों की तरफ ध्यान लगाना चाहिए। उन्हें सुधारना चाहिए।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.