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आखिर क्यों यहां के कॉलेजों में प्रवेश नहीं ले रहे स्टूडेंट?

Published: Oct 02, 2020 09:10:52 pm

Submitted by:

shyam bihari

कोविड-19 का असर : जबलपुर में काउंसिलिंग के के दो चरण समाप्त, फिर भी 50 फीसदी सीटें खाली
 

6795 students took part in online examination in bhilwara

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जबलपुर। कोविड-19 का असर इस बार जबलपुर के कॉलेजों में चल रही प्रवेश प्रक्रिया पर भी पड़ा है। करीब दो माह पहले शुरू हुई प्रवेश प्रक्रिया के दो दौर समाप्त होने के बाद भी अधिकांश कॉलेजों में 50 प्रतिशत सीटें भी नहीं भर सकी हैं। सबसे खराब स्थिति यूजी में प्रवेश की है। छात्रों के प्रवेश नहीं लेने से उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी भी हैरान हैं। जानकारी के अनुसार इस बार ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया में 2 लाख 8 हजार 487 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश के लिए विकल्प भरे थे, इसमें से 26 फीसदी यानी 53 हजार 546 विद्यार्थियों ने ही प्रवेश लिया है। जिले में करीब 15 हजार सीटों में से 6500 पर प्रवेश हुआ है। जबकि स्नातक स्तर के दो राउंड समाप्त हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में अक्टूबर तक प्रवेश प्रक्रिया चलेगी। जानकारों के अनुसार कॉलेजों में ग्रामीण क्षेत्रों के साथ आसपास के जिलों कटनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी आदि से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं पढ़ाई के लिए शहर आते हैं। लेकिन, कोरोना संक्रमण के कारण इस बार कम संख्या में छात्रों ने आवेदन किया है। कम संख्या में प्रवेश का एक कारण ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया की जानकारी नहीं होने को भी माना जा रहा है।
ओपन श्रेणी की होंगी सीटें
जानकारी के अनुसार सीएलसी द्वितीय चरण के अंतर्गत रिक्त सीटें ओपन श्रेणी की होंगी। स्नातक स्तर पर सीएलसी द्वितीय चरण की तैयारी शुरू हो गई है। कॉलजों की लॉगिन पर अपडेट मेरिट सूची उपलब्ध रहेगी। कॉलेज प्रवेश समिति रिक्त सीटों के आधार पर उपलब्ध सूची में से प्रतिदिन सुबह 12 बजे आवेदकों की सूची एक्टिव करेगी। आवेदक ई-प्रवेश पोर्टल पर अपने लॉगिन से विकल्प चुनकर एक्टिव पाठ्यक्रमों में से किसी एक का चयन कर दूसरे दिन सुबह 11 बजे तक ऑनलाइन प्रवेश शुल्क का भुगतान कर प्रवेश प्रक्रिया संचालित करेंगे। मानकुंवर बाई कॉलेज की प्रवेश प्रभारी डॉ. बीएन त्रिपाठी ने बताया कि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते कॉलेजों में बेहद कम संख्या में प्रवेश हुए हैं। दूसरे जिलों से भी छात्रों ने प्रवेश नहीं लिया है। कुछ बड़े कॉलेजों को छोड़कर अधिकांश में 50 फीसदी सीटें भी नहीं भरी हैं।

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