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मेरे जाने के बाद याद रखा जाए एेसा काम करना पसंद – ए.एम. तुराज

locationजयपुरPublished: Dec 09, 2018 09:34:06 pm

Submitted by:

Anurag Trivedi

जयपुर आए गीतकार और कवि ए.एम. तुराज ने पत्रिका से शेयर किए अनुभव, ‘पद्मावत’, ‘बाजीराव मस्तानी’ के गीतों से खासे पहचाने जाते है

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मेरे जाने के बाद याद रखा जाए एेसा काम करना पसंद – ए.एम. तुराज

जयपुर। ‘उत्तरप्रदेश के मुजफ्फर नगर के छोटे से गांव में मेरा बचपन बीता है और वहीं के लोगों के बीच पढ़कर शेरो-शायरी के मंच तक पहुंचा। दो-दो लाइन के शेर पर जमकर तालियां मिला करती थी, उस खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता था। तभी सोच लिया था कि मेरा जन्म राइटिंग के लिए ही हुआ है और इसमें नाम कमाने के लिए मुम्बई जाना होगा। मायानगरी मुम्बई में एक भी व्यक्ति को नहीं जानता था, लेकिन निर्णय किया था कि पहचान बनाकर ही अपने शहर वापस जाना है। स्ट्रगल के दौरान टीवी शो लिखने शुरू किए और उसके बाद धीरे-धीरे काम मिलने लगा।’ यह कहना है, बॉलीवुड के गीतकार और कवि ए.एम. तुराज का। अजमेर दरगाह पर जियारत करने के बाद जयपुर में अपने सिंगर दोस्त तोशी से मिलने पहुंचे तुराज ने पत्रिका से अनुभव शेयर करते हुए कहा कि ‘जिन्दगी नाकामियों के नाम हो, इससे पहले कोई अच्छा काम हो’ यह शेर मेरी जिन्दगी का असली फलसफा है और मैं वही काम करना पसंद करता हूं, जिसे लोग मेरे मरने के बाद भी याद रखे।
२००५ में लिखा फिल्म का गीत

उन्होंने बताया कि मुजफ्फर नगर से २००२ में निकल गया था और उसके बाद दो साल तक कोई बड़ा काम नहीं मिला, इसके बाद कुछ टीवी सीरियल के लिए लिखने लग गया। २००५ में पहली फिल्म ‘कुडियों का है जमाना’ मिली, यह मल्टीस्टारर फिल्म थी। इसके बाद टीवी शो लिखना बंद कर दिया और इसके बाद स्ट्रगल का नया दौर शुरू हो गया। कुछ साल बाद फिल्मों में मेरे गीत शामिल हुए और एक के बाद एक गीत हिट होते चले गए। आज ३७ फिल्मों के लिए गीत लिख चुका हूं और ‘पद्मावत’, ‘सरबजीत’, ‘वजीर’, ‘बाजीराव मस्तानी’, ‘गुजारिश’, ‘चक्रव्यूह’, ‘डेविड’ जैसी फिल्मों के गीतों को लोग सबसे ज्यादा सराहना करते है।
‘एक दिल है, एक जान है’ गाना दिल के करीब

तुराज ने बताया कि ‘पद्मावत’ फिल्म के सभी गाने लिखने का मौका मिला, इसका सॉन्ग ‘एक दिल है, एक जान है’ मेरे सबसे ज्यादा नजदीक है। मैं आज भी अपने गीतों में मोहब्बत के रंग डालने का काम करता हूं। शायराना अंदाज में गीत लिखना बहुत पसंद है, एेसे में मेरे कई गीतों में कुछ शेर भी नजर आते है। वैसे ‘बाजीराव मस्तानी’ का गाना ‘आयत’ का सूफी अंदाज भी मुझे खासा आकर्षित करता है।
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