अब फल-सब्जियों को मिलेगा पूरा पोषण..पर्यावरण के लिए भी अनुकूल
Published: Nov 04, 2023 06:43:07 pm
भारत में प्रतिवर्ष 65 हजार टन रसायनों का उपयोग अधिक उत्पादन पाने के लिए किया जा रहा है। इस कारण पर्यावरण व स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो रही है। साथ ही मृदा की उर्वरक क्षमता कम होती जा रही है। रसायनों के अत्यधिक उपयोग से परागण करने वाली मधुमक्खियों की संख्या कम होती जा रही है। इससे फसल उत्पादन पर बहुत घातक प्रभाव पडऩे लगा है। जोबनेर कृषि विवि के डॉ. महेन्द्र मीना ने नई जैविक नैनो तकनीक का विकास किया है।


अब फल-सब्जियों को मिलेगा पूरा पोषण..पर्यावरण के लिए भी अनुकूल
इस नैनो फॉर्मूलेशन की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने की वजह से पौधे में होने वाली बीमारियों से भी बचाव होता है। यह पूर्णतया बायोडिग्रेडेबल होने की वजह से पूरी तरह सुरक्षित एवं क्या है नैनो तकनीक
जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बलराज सिंह ने बताया, यह नैनो फॉर्मूलेशन काइटोसन व हिस्टीडीन से मिलकर बना हुआ है। इसको बीज उपचार व छिड़काव के माध्यम से उपयोग में लिया जाता है। इसमें नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होने के कारण पौधे की वृद्धि और विकास शीघ्र होता है। प्रकाश संश्लेषण अधिक होने से क्लोरोफिल की मात्रा बढ़ जाती है जिससे फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।