ऐसे में मरीज को निजी एम्बुलेंस से जयपुर ले जाना पड़ता है। निजी एम्बुलेंस महंगी होने पर मरीज को आर्थिक भार भी उठाना पड़ता है। ऐसा ही गुरुवार को भी हुआ। पुरानी टोंक निवासी एक मरीज को सआदत अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने आइसीयू में उपचार शुरू कर दिया, लेकिन मरीज की स्थिति नाजुक होने पर चिकित्सक ने उसे जयपुर रेफर कर दिया।
मरीज के परिजनों ने अस्पताल की एम्बुलेंस के लिए कहा तो पता चला कि वह खराब है और मरम्मत के लिए गई है। जब 108 पर फोन लगाया गया तो पहले उसकी कार्यवाही में काफी लम्बा समय लग गया।
बाद में पता चला कि एम्बुलेंस ही उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मरीज के परिजनों ने दो हजार रुपए में निजी एम्बुलेंस बुलवाई और मरीज को जयपुर ले जाया गया। ऐसा पहली बार ही नहीं हुआ।
बल्कि आए दिन ऐसा होता रहता है। एम्बुलेंस 108 पर कॉल करने पर इतने सवाल पूछे जाते हैं कि लम्बा समय निकल जाता है। फिर से उसमें चिकित्सक या चिकित्साकर्मी से बात कराई जाती है।
कई बार एम्बुलेंस की उपलब्धता नहीं होने पर मरीज की जान पर बन जाती है। उल्लेखनीय है कि टोंक से प्रति दिन दो मरीज जयपुर रेफर होते हैं। ऐसे में मरीजों को ऐसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। जबकि टोंक के जिला प्रभारी मंत्री चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा है।
एम्बुलेंस सर्विस पर गई है
सआदत अस्पताल एम्बुलेंस सर्विस पर गई है। 108 एम्बुलेंस की सेवा उन्हीं पर निर्भर है।
– डॉ. नविन्द्र पाठक, पीएमओ सआदत अस्पताल टोंक
सआदत अस्पताल एम्बुलेंस सर्विस पर गई है। 108 एम्बुलेंस की सेवा उन्हीं पर निर्भर है।
– डॉ. नविन्द्र पाठक, पीएमओ सआदत अस्पताल टोंक