script‘कंस्ट्रक्टिव कस्टडी’ में अग्रिम जमानत की अर्ज़ी सुनवाई योग्य नहीं | Anticipatory Bail Application Not Maintainable In constructive custody | Patrika News

‘कंस्ट्रक्टिव कस्टडी’ में अग्रिम जमानत की अर्ज़ी सुनवाई योग्य नहीं

locationजयपुरPublished: Nov 24, 2020 08:33:04 am

Submitted by:

Mohmad Imran

नियम: नियमित जमानत रद्द हो तो आत्मसमर्पण जरूरी

'कंस्ट्रक्टिव कस्टडी' में अग्रिम जमानत नहीं

‘कंस्ट्रक्टिव कस्टडी’ में अग्रिम जमानत नहीं

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर किसी व्यक्ति की नियमित जमानत याचिका रद्द हो गई है तो सिर्फ गिरफ्तारी की आशंका से उसके द्वारा दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका (Anticipatory Bail Application) सुनवाई योग्य नहीं होगी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कानून की ‘कंस्ट्रक्टिव कस्टडी’ (constructive custody) में रहने वाला कोई भी व्यक्ति अग्रिम जमानत अर्जी दायर नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि जमानत पर रिहा व्यक्ति कानून की नजर में कस्टडी में होता है।

यह कहा कोर्ट ने
-‘कंस्ट्रक्टिव कस्टडी’ में व्यक्ति अग्रिम जमानत का अनुरोध नहीं कर सकता।
-सिर्फ गिरफ्तारी के डर से दायर की गई अग्रिम जमानत की अर्जी न्यायालय में सुनवाई योग्य नहीं मानी जाएगी।
-ऐसे व्यक्ति की नियमित जमानत अर्जी के अनुरोध पर आत्म समर्पण के बाद ही विचार किया जाएगा।

एसएलपी की खारिज
मामले में जमानत मिलने के बाद पेश न होने पर, गिरफ्तारी से बचने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दी गई थी। वहां से राहत न मिलने पर शीर्ष कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP or special leave petition) दी गई थी।

क्या है कंस्ट्रक्टिव कस्टडी
कानून के अनुसार, कंस्ट्रक्टिव कस्टडी एक ऐसे व्यक्ति की हिरासत को संदर्भित करता है जो प्रत्यक्ष शारीरिक नियंत्रण के अधीन नहीं है, लेकिन जिसकी स्वतंत्रता को कानूनी अधिकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है। उदाहरण के लिए पैरोल पर छूटा कोई व्यक्ति।

ये है पूरा मामला
उच्चतम न्यायालय ने यह व्याख्या याचिकाकर्ता मनीष जैन के मामले में दी है। उन्हें पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 15 के तहत दायर मुकदमे में नियमित जमानत दी गई थी। लेकिन समय पर पेश न होने के कारण उसकी जमानत निरस्त कर दी गई थी।

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