सिपाहियों के रहने के लिए चौकी में छोटे-छोटे घर बनाए गए हैं। लेकिन इनमें से एक घर कुछ खास है क्योंकि इसमें रहता है एक अनोखा सिपाही हरभजन सिंह।
हरभजन सिंह हर साल में दो महीने की छुट्टी लेकर अपने मां-बाप से मिलने अपने गांव जाता है। हरभजन सिंह पंजाब के कपूरथला जिले के कूके गांव का रहने वाला है।
हरभजन सिंह हर साल में दो महीने की छुट्टी लेकर अपने मां-बाप से मिलने अपने गांव जाता है। हरभजन सिंह पंजाब के कपूरथला जिले के कूके गांव का रहने वाला है।
यह सब सुनना एक साधारण बात होती आैर हरभजन एक साधारण सैनिक हाेता लेकिन एेसा है नहीं।
आपको जानकर हैरत होगी कि हरभजन सिंह की 1968 में ही मौत हो चुकी है आैर किवदंतियों के मुताबिक यहां उनकी आत्मा का वास है जो हर पल सीमा की सुरक्षा में तैनात रहती है। हरभजन सिंह की मौत तेज उफान वाली एक नदी में डूबने से हुर्इ थी। नदी में पानी इतना गहरा था कि तीन दिन तक चले सर्च आॅपरेशन के बाद ही उनकी लाश मिल सकी थी। लेकिन इसके बाद जाे हुआ उस पर किसी को सहसा विश्वास नहीं होता।
आपको जानकर हैरत होगी कि हरभजन सिंह की 1968 में ही मौत हो चुकी है आैर किवदंतियों के मुताबिक यहां उनकी आत्मा का वास है जो हर पल सीमा की सुरक्षा में तैनात रहती है। हरभजन सिंह की मौत तेज उफान वाली एक नदी में डूबने से हुर्इ थी। नदी में पानी इतना गहरा था कि तीन दिन तक चले सर्च आॅपरेशन के बाद ही उनकी लाश मिल सकी थी। लेकिन इसके बाद जाे हुआ उस पर किसी को सहसा विश्वास नहीं होता।
सेना की किवदंतियों के मुताबिक मौत के कुछ दिन बाद हरभजन सिंह अपने एक साथी सिपाही के सपने में आए आैर उसे अपना एक मंदिर बनवाने का आदेश दिया। रेजिमेंट ने वहां उनका एक मंदिर बनवा दिया जो आज बाबा हरभजन सिंह के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
तब से लेकर आज तक हरभजन सिंह को एक नियमित सैनिक की भांति लगातार पदोन्नति मिलती रही है। वे अब सेना में बतौर मानद कैप्टन के तौर पर तैनात हैं। हर महीने उनकी तनख्वाह उनके घर भेजी जाती है।
कहा जाता है कि बाबा हरभजन सिंह की आत्मा हर समय चौदह हजार फीट की उंचार्इ पर स्थित इस चौकी की रक्षा करती है। तीन हजार सिपाहियों की आस्था का केंद्र बाबा की आत्मा उनको चीन की तरफ से हाेने वाले किसी भी प्रकार के हमले की सूचना तीन दिन पहले ही दे देती है।
बाबा हरभजन सिंह के मंदिर की दीवारों पर इस बहादुर सिपाही की आदमकद तस्वीरें मौजूद हैं। बिना जूतों के वर्दी में तैनात सेना का एक जवान मंदिर की चौबीसों घंटे सुरक्षा करता है। यह जवान बाबा की सभी चीजों की नियमित तौर पर देखभाल करता है। इनमें उनकी वर्दी को धोकर प्रेस करना, जूतों पर पाॅलिश करना, बिस्तर को ठीक करना आैर उनकी तस्वीर को उनके कमरे आैर आॅफिस के बीच लेकर जाना जैसे महत्वपूर्ण काम शामिल होते हैं।
बताया जाता है कि बाबा हरभजन अपने गांव अकेले नहीं जाते बल्कि सेना के तीन जवान गांव तक उनका साथ देने के लिए होते हैं जो उनका सामान लेकर चलते हैं। बाबा हरभजन सिंह अब एक अमर सैनिक हैं आैर उनका मंदिर अब केवल सैनिकों के लिए ही नहीं अपितु यहां की आम जनता के लिए भी आस्था का केंद्र बन चुका है।