जयपुर

नाहरगढ जैविक उद्यान से आई बुरी खबर, पिंजरे में मृत मिला मादा शावक

शुक्रवार देर रात जन्मे थे तीन शावक, जीव प्रेमियों में मायूसी

जयपुरDec 13, 2018 / 09:22 pm

Devendra Singh

नाहरगढ जैविक उद्यान से आई बुरी खबर, पिंजरे में मृत मिला मादा शावक

देवेंद्र सिंह राठौड़ / जयपुर. नाहरगढ़ जैविक उद्यान में आए तीन नए मेहमान शावकों ने ठीक से पांच दिन भी नहींं गुजारे थे कि एक शावक ने दम तोड़ दिया। यहां मंगलवार को सुबह 14 वर्षीय बाघिन रंभा के केज में एक नवजात मादा शावक मृत मिला। इससे वन्यजीवप्रेमियों एवं वनकर्मियों में मायूसी छा गई। जानकारी के मुताबिक इस साल फरवरी माह में इसी बाघिन रंभा ने दो मृत शावकों को जन्म दिया था। ये देखते हुए वन विभाग पूरजोर सफल डिलीवेरी में जुट गया था, लेकिन मंगलवार को एक शावक की मौत से देखरेख पर कई सवालियां निशान खड़े हो गए। ऐसे में अन्य दो शावकों को सुरक्षित एवं स्वस्थ रखना विभाग के लिए एक चुनौती बन गया है। फिलहाल दोनों शावक स्वस्थ है।
 

श्वसन तंत्र फेल और ह्दयघात
बाघिन की देखरेख कर रहे वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार तंवर ने बताया कि सोमवार देर रात तक तीनों शावक स्वस्थ थे। मंगलवार अल सुबह एक नवजात मादा शावक को केज में मृत पाया गया। पोस्टमार्टम में पाया गया कि उसकी मौत ह्दय घात और श्वसन तंत्र फेल (कार्डियोपल्मोनरी फेलीयर) होने से हुई है। पोस्टमार्टम के बाद मृत शावक को उद्यान के अंदर ही जला दिया गया।
 

दूर नहीं हुई रंभा
बाघिन रंभा शावकों की देखरेख कर रहीं है। गुरुवार को वह दिनभर दोनों शावकों के पास बैठीं रहीं, पलभर भी उनसे दूर नहीं हुई। वह कभी दूध पिलाती तो कभी दुलारती नजर आयीं। मालूम हो कि उद्यान में फिलहाल एक बाघ नाहर व एक बाधिन रंभा और उसके दो नवजात शावक है।
 

एक्सपर्ट……..
मस्तिषक को निरंतर ऑक्सीजन नहीं मिलने से फेफड़े और ह्दय काम करना बंद कर देते है। जिससे जानवर की मौत हो जाती है। इसे कार्डियो पल्मोनरी फेलियर भी कहा जाता है। हालांकि ऑक् सीजन नहीं मिलने के कई कारण हो सकते हैं।
डॉ तेज सिंह खंगारोत, रोग नियंत्रण पशुपालन निदेशालय
 

ये भी आया सामने
– प्रसव के दौरान या बाद में बाघिन और उसके शावक पर नजर कैमरे से ही रखीं जाती है। उसके पिंजरे के आसपास व्यक्तियों का प्रवेश बंद कर दिया जाता है। कोई व्यक्ति दिखने पर वह शावकों को सुरक्षा देने के लिहाज से अमूमन मुंह से उठा सकतीं या हाथ से छुपा सकती है। जो कि शावकों के लिए काफी घातक हो सकता है। ऐसे में कोताही बरती जाती है।
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