mumbai dharm news: कृष्ण-सुदामा जैसी आज दोस्ती कहां, राजा के मित्र राजा होते हैं रंक नहीं
मुंबईPublished: Jan 14, 2020 09:05:26 pm
लोग समझ नहीं पाए कि आखिर सुदामा में क्या खासियत है कि krishna खुद ही उनके स्वागत में दौड़ पड़े
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mumbai dharm news: कृष्ण-सुदामा जैसी आज दोस्ती कहां, राजा के मित्र राजा होते हैं रंक नहीं
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मुंबई. सुदामा से परमात्मा ने मित्रता का धर्म निभाया। राजा के मित्र राजा होते हैं रंक नहीं, पर परमात्मा ने कहा कि मेरे भक्त जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता। कृष्ण और सुदामा दो मित्र का मिलन ही नहीं जीव व ईश्वर तथा भक्त और भगवान का मिलन था। जिसे देखने वाले अचंभित रह गए थे। आज मनुष्य को ऐसा ही आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य आचार्य महेंद्र जोशी ने मालाड (पश्चिम) के श्री साई दर्शन मंदिर में भागवत कथा मे श्रद्धालुजनों से कही। उन्होंने आगे कहा कि कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां है। यही कारण है कि आज भी सच्ची मित्रता के लिए कृष्ण-सुदामा की मित्रता का उदाहरण दिया जाता है। द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, बतावत आपन नाम सुदामा, सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने पहुंच गए। लोग समझ नहीं पाए कि आखिर सुदामा में क्या खासियत है कि भगवान खुद ही उनके स्वागत में दौड़ पड़े। श्रीकृष्ण ने स्वयं सिंहासन पर बैठाकर सुदामा के पांव पखारे। कृष्ण-सुदामा चरित्र प्रसंग पर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
परमात्मा जिज्ञासा का विषय है, परीक्षा का नहीं
भगवान के चरित्रों का स्मरण, श्रवण करके उनके गुण, यश का कीर्तन, अर्चन, प्रणाम करना, अपने को भगवान का दास समझना, उनको सखा मानना तथा भगवान के चरणों में सर्वश्व समर्पण करके अपने अन्तकरण में प्रेमपूर्वक अनुसंधान करना ही भक्ति है। श्रीकृष्ण को सत्य के नाम से पुकारा गया। जहां सत्य हो वहीं भगवान का जन्म होता है। भगवान के गुणगान श्रवण करने से तृष्णा समाप्त हो जाती है। परमात्मा जिज्ञासा का विषय है, परीक्षा का नहीं। सुबह में संपूर्ति यज्ञ का आयोजन किया गया । कथा में पधारने वालो मे रमण अग्रवाल, राजेन्द्र घुवालेवाला, किशन बैरागडा, सुनील क्याल, सुभाष शर्मा, मुरारी लाल शर्मा, गौरव घुवालेवाला, सुभाष चौधरी,प्रकाश शर्मा नरेन्द्र खेतान नरेन्द्रसिह, मधुसूदन शर्मा, बिहारी लढ्ढा, शिवकुमार मिश्र, सुरेश लढ्ढा, शशिकान्त जोशी, विनोद त्रिवेदी आदि शामिल रहे।