हालात नहीं सुधरे तो जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने के लिए खर्च होंगे अरबों डॉलर
वैज्ञानिक मान रहे हैं सदी के अंत तक 3.2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ सकता है।

दुनिया में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने की लागत बढ़ गई है। हाल ही जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के अनुकूल रहने के लिए विकासशील देशों को हर वर्ष 5 लाख 12 हजार करोड़ की जरूरत है। जलवायु के खतरे इसी गति से बढ़े तो यह लागत 2030 तक बढकऱ करीब 22 लाख करोड़ और 2050 तक 36 लाख करोड़ रुपए से ज्याद हो जाएगी।
चिंता इसलिए
2020 कोरोना महामारी के साथ ही जलवायु परिवर्तन का वर्ष भी रहा। भले ही लॉकडाउन के कारण कारखाने और यातायात बंद रहने से पर्यावरण सुधरा, लेकिन 2020 इस सदी में 2016 जितना गर्म वर्ष भी रहा। जलवायु परिवर्तन के कारण इस वर्ष बाढ़, सूखा, तूफान और टिड्डियों के हमले से निपटने पर भारी रकम खर्च करनी पड़ी।
3.2 डिग्री हो जाएगी तापमान वृद्धि
पेरिस जलवायु समझौते में दुनिया के ज्यादातर देशों ने ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर प्रभावी नियंत्रण लगाने पर सहमति जताई थी, ताकि सदी के अंत तक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोका जा सके। लेकिन अब वैज्ञानिक मान रहे हैं सदी के अंत तक 3.2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ सकता है।
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