जबलपुर

Video : डिजाइन इनोवेशन सेंटर में बना दिया बायो विलेज, वीडियो में जानें खासियत

रादुविवि के डिजाइन इनोवेशन सेंटर में किया गया नया प्रयोग
 

जबलपुरMar 05, 2019 / 06:22 pm

abhishek dixit

RDVV Jabalpur

देश की ज्यादातर आबादी गांव में रहती है और जो भी इनोवेशन किए जाते हैं, वह शहरी लोगों को ध्यान में रखकर होते हैं। ऐसे में गांव के विकास में हम पिछड़ जाते हैं। इसी बात को ध्यान रखते हुए रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के बायो डिजाइन सेंटर में एक नया कॉन्सेप्ट शुरू किया गया है।

जबलपुर. बायो डिजाइन सेंटर की हाल ही में नई बिल्डिंग तैयार हुई है, जिसके अंदर उन्होंने एक बायो विलेज बनाया है। एक एरिया को गांव का रूप दिया है, जिसमें एक झोपड़ी है। इसके साथ खेती किसानी का एरिया भी डवलप किया है। अधिकारियों की मानें तो इस तरह का कॉन्सेप्ट इसलिए है, ताकि स्टूडेंट्स जो भी इनोवेशन या डिजाइन तैयार करें, उसमें गांवों का हित पहले देखें।

स्टूडेंट्स यहां बिताते हैं वक्त
बिल्डिंग में जो विलेज एरिया डवलप किया गया है, वहां पर स्टूडेंट्स एक-एक दिन बिताते हैं। झोपड़ी में बैठते हैं, फूलों के पास टाइम बिताते हैं। वे यहां रहकर उन कमियों और समस्याओं को महसूस करते हैं, जो कि ग्रामीणों को होती है। आवश्यकता से ही अविष्कार होता है। डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि इस तरह की विलेज बनाने का कॉन्सेप्ट आया तो सभी से यह आइडिया शेयर किया। पसंद आने पर इसे तुरंत ही इम्प्लीमेंट कर दिया। डीआइसी में कुल 8 सदस्य शामिल हैं, जो कि इनोवेशन में जुटे हैं।

एडवांस चूल्हा
इसे एंटी स्मोक चूल्हा कह सकते हैं, क्योंकि स्मोक का रिडक्शन 95 प्रतिशत तक कम किया जा सकेगा। इसमें डिफरेंट मैटेरियल यूज किया गया है, जो कि गांव में प्रोवाइड करना चाह रहे हैं।

घास से लाइट
दूब घास से लाइट जनरेट करने का कॉन्सेप्ट तैयार किया है। इसके साथ ही झोपड़ी पर सौर सेल पैनल लगाकर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करने का प्लान किया है।

बायो पेस्टीसाइड
केमिकल फर्टिलाइजर को रिमूव करके बायो फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करेंगे। इंटेमोपैथोजेनिक फंजाई पर काम कर रहे हैं। इससे फसलों को नुकसान नहीं होगा।

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एडवांस चूल्हा
इसे एंटी स्मोक चूल्हा कह सकते हैं, क्योंकि स्मोक का रिडक्शन 95 प्रतिशत तक कम किया जा सकेगा। इसमें डिफरेंट मैटेरियल यूज किया गया है, जो कि गांव में प्रोवाइड करना चाह रहे हैं।

घास से लाइट
दूब घास से लाइट जनरेट करने का कॉन्सेप्ट तैयार किया है। इसके साथ ही झोपड़ी पर सौर सेल पैनल लगाकर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करने का प्लान किया है।

बायो पेस्टीसाइड
केमिकल फर्टिलाइजर को रिमूव करके बायो फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करेंगे। इंटेमोपैथोजेनिक फंजाई पर काम कर रहे हैं। इससे फसलों को नुकसान नहीं होगा।

इरीगेशन के लिए सेंसर सिस्टम
सिंचाई के लिए सेंसर सिस्टम का उपयोग किया गया है। खेत में जितने पानी का यूज हो, केवल उतने ही पानी की आवक होगी। पर्याप्त पानी खेतों में डलने के बाद सेंसर के जरिए पानी की आवक रुक जाएगी।

डीआइसी विभाग इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए लगातार नवाचार करते आ रहा है। इससे स्टूडेंट्स ग्रामीणों की समस्या को समझकर इनोवेशन की दिशा में कदम बढ़ाएंगे।
प्रो. केडी मिश्र, कुलपति, रादुविवि

रिसर्च स्टूडेंट्स विलेज एरिया में बैठकर गांवों की कमियों को महसूस कर सके। इसलिए यह कॉन्सेप्ट तैयार किया है। इससे स्टूडेंट्स गांवों के विकास के लिए नए-नए आइडिया पर काम कर रहे हैं।
डॉ. एसएस संधू, डायरेक्टर, डीआइसी

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