scriptभाजपा का नया सियासी दांव | BJP has drafted leaders from other parties to enter new states | Patrika News

भाजपा का नया सियासी दांव

locationनई दिल्लीPublished: Oct 24, 2017 05:41:33 pm

Submitted by:

Ekktta Sinha

दूसरी पार्टी के क्षत्रपों को शामिल किए बिना फायदे की जुगत में।बंगाल में मुकुल रॉय, महाराष्ट्र में नारायण राणे, गुजरात में वाघेला का लाभ मिलेगा

BJP has drafted leaders from other parties to enter new states

BJP has drafted leaders from other parties to enter new states

नई दिल्ली. ( कुमार पंकज) देश के हर छोटे-बड़े चुनाव में कामयाबी का झंडा गाडऩे के बेहद आक्रामक अभियान पर चल रहे भाजपा नेतृत्व ने विरोधियों को कमजोर करने का एक फार्मूला अपनाया है। दूसरे दलों के व्यापक जनाधार वाले नेताओं को अब सीधे पार्टी में शामिल करने की जगह उन्हें एक नई राजनीतिक इकाई गठित कर तालमेल का विकल्प दिया जा रहा है। हाल ही में महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने कांग्रेस छोड़ी, तृणमूल के पुराने नेता मुकुल रॉय ने ममता का साथ छोड़ा, उधर गुजरात में पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने भी विपक्ष के नेता का पद छोड़ा। तीनों ही मामले में एक बात खास है कि बगावत के बाद इनका भाजपा से मेल-जोल बढ़ गया है। लेकिन इनमें से किसी को भी भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल नहीं किया है।
बंगाल में भाजपा अपना जनाधार लंबे समय से बढ़ाने में प्रयासरत है। तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य रहे मुकुल रॉय को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निष्कासित किया जाना इन्हीं प्रयासों का नतीजा माना जा रहा है। रॉय ने भाजपा के प्रति अपनी आस्था भी व्यक्त की है। अब देखना है कि परिणाम क्या होता है।
BJP has drafted leaders from other parties to enter new states
IMAGE CREDIT: Google
पार्टी को काफी उम्मीद है इस फार्मूल से
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अब दूसरे दलों के नेताओं को सीधे पार्टी में लेने की बजाय अलग पार्टी बना कर गठबंधन करने का फायदा यह है कि पार्टी संगठन में उनके विरोध की स्थिति नहीं आती। इसी तरह उन सीटों पर इनका खास तौर पर फायदा होगा जहां जीत-हार का अंतर बहुत कम है या मुकाबला बहुकोणीय है। भाजपा के एक अन्य नेता के मुताबिक राज्यों में जनाधार वाले नेता अगर राजनीतिक दल का गठन करते हैं तो उनके साथ बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुड़ जाते हैं। जबकि उनको शामिल करने से कुछ ही खास समर्थक पार्टी से जुड़ते हैं। कई मामलों में तो अगर नई पार्टी और नेता सीधे गठबंधन में नहीं हों तो भी फायदा पहुंचा देते हैं। गुजरात में भाजपा को पता है कि कुछ समुदायों और वर्गों में उनके खिलाफ विरोध है। इसे वे पूरी तरह नहीं बदल सकते। लेकिन उनके विरोधी वोट अगर बंट जाएं तो इसका फायदा उन्हें आसानी से मिल सकता है। वाघेला अपनी जन विकल्प पार्टी के बैनर तले सियासी मैदान में कूद पड़ेे हैं। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि वाघेला के इस सियासी दांव से कांग्रेस को नुकसान होगा। वहीं अगर बंगाल में रॉय नए दल का गठन करते हैं तो तृणमूल और कांग्रेस से नाराज लोग इनसे जुड़ सकते हैं। जिसका लाभ भाजपा को मिलेगा।
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राणे का फायदा
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने तो नए सियासी दल महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का गठन भी कर लिया है। मराठा समुदाय से आने वाले राणे का कोंकण क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है। इसका फायदा भाजपा उठाने की कोशिश करेगी।
बिहार में भी आजमाया
बिहार में एक समय नीतीश कुमार के खास और उनकी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री रहे जीतन राम मांझी भी भाजपा में शामिल नहीं हुए थे और अलग पार्टी बना कर समर्थन करने के फार्मूले पर पार्टी ने सहमति जताई थी। यह बात और है कि लालू, नीतीश और कांग्रेस के एक साथ आ खड़े होने से भाजपा को कामयाबी नहीं मिल सकी।
मानव संसाधन विकास मंत्री, प्रकाश जावडेकर कहते हैं- अगर कोई भाजपा में शामिल होना या गठबंधन करना चाहता है तो इससे अच्छी बात क्या होगी। सबको पता है कि आज अगर कोई पार्टी देश का विकास कर सकती है तो वह भाजपा है।
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