पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अब दूसरे दलों के नेताओं को सीधे पार्टी में लेने की बजाय अलग पार्टी बना कर गठबंधन करने का फायदा यह है कि पार्टी संगठन में उनके विरोध की स्थिति नहीं आती। इसी तरह उन सीटों पर इनका खास तौर पर फायदा होगा जहां जीत-हार का अंतर बहुत कम है या मुकाबला बहुकोणीय है। भाजपा के एक अन्य नेता के मुताबिक राज्यों में जनाधार वाले नेता अगर राजनीतिक दल का गठन करते हैं तो उनके साथ बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुड़ जाते हैं। जबकि उनको शामिल करने से कुछ ही खास समर्थक पार्टी से जुड़ते हैं। कई मामलों में तो अगर नई पार्टी और नेता सीधे गठबंधन में नहीं हों तो भी फायदा पहुंचा देते हैं। गुजरात में भाजपा को पता है कि कुछ समुदायों और वर्गों में उनके खिलाफ विरोध है। इसे वे पूरी तरह नहीं बदल सकते। लेकिन उनके विरोधी वोट अगर बंट जाएं तो इसका फायदा उन्हें आसानी से मिल सकता है। वाघेला अपनी जन विकल्प पार्टी के बैनर तले सियासी मैदान में कूद पड़ेे हैं। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि वाघेला के इस सियासी दांव से कांग्रेस को नुकसान होगा। वहीं अगर बंगाल में रॉय नए दल का गठन करते हैं तो तृणमूल और कांग्रेस से नाराज लोग इनसे जुड़ सकते हैं। जिसका लाभ भाजपा को मिलेगा।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने तो नए सियासी दल महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का गठन भी कर लिया है। मराठा समुदाय से आने वाले राणे का कोंकण क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है। इसका फायदा भाजपा उठाने की कोशिश करेगी।
बिहार में एक समय नीतीश कुमार के खास और उनकी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री रहे जीतन राम मांझी भी भाजपा में शामिल नहीं हुए थे और अलग पार्टी बना कर समर्थन करने के फार्मूले पर पार्टी ने सहमति जताई थी। यह बात और है कि लालू, नीतीश और कांग्रेस के एक साथ आ खड़े होने से भाजपा को कामयाबी नहीं मिल सकी।