भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पिछले वर्ष जुलाई में चंद्रयान-2 को चांद पर भेजा था। लैंडर विक्रम (lander vikram) तो 7 सितंबर को चांद की सतह पर क्रैश हो गया था, लेकिन ऑर्बिटर चंद्रमा की परिक्रमा के साथ अपना काम बखूबी कर रहा है। चंद्रयान-2 के अत्याधुनिक उपकरण चंद्रमा का हाइ रेजोल्यूशन मैप तैयार कर रहे हैं। इससे मिले डेटा का अध्ययन हो रहा है। इसरो के वैज्ञानिकों ने इसी महीने अमरीका में होने वाले 51वें चंद्र और विज्ञान सम्मेलन में प्रदर्शित करने के लिए ऑर्बिटर के मैपिंग उपकरणों से मिले प्रारंभिक डेटा जुटाए हैं। इससे चंद्र अभियानों को नई दिशा मिलेगी। ऑर्बिटर से ऐसे ध्रुवीय क्रेटर्स की मैपिंग इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भविष्य के चंद्र निवास की कल्पना भी इनके इर्द-गिर्द की गई है।
नासा के कैमरे से भी शक्तिशाली
चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरा (ओएचआरसी) है, जो चंद्रमा की तस्वीरों को कैद करता है। यह ऑप्टिकल कैमरा नासा के 0.5 मीटर पिक्सेल वाले एलआरओ कैमरे से बेहतर रिजोल्यूशन की तस्वीरें दे रहा है। ओएचआरसी की खासियत है कि यह चंद्रमा के उन स्थानों की भी बेहतर फोटो ले रहा है जो सूर्य के प्रकाश से दूर हैं। अक्टूबर में ऑर्बिटर ने एक मीटर से छोटी आकृतियों को भी दिखाया था।
चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरा (ओएचआरसी) है, जो चंद्रमा की तस्वीरों को कैद करता है। यह ऑप्टिकल कैमरा नासा के 0.5 मीटर पिक्सेल वाले एलआरओ कैमरे से बेहतर रिजोल्यूशन की तस्वीरें दे रहा है। ओएचआरसी की खासियत है कि यह चंद्रमा के उन स्थानों की भी बेहतर फोटो ले रहा है जो सूर्य के प्रकाश से दूर हैं। अक्टूबर में ऑर्बिटर ने एक मीटर से छोटी आकृतियों को भी दिखाया था।