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नेपाल में छिड़ी चीन अमरीका और जंग, नेपाली वामपंथी हो रहे हैं तंग

नेपाल में एक बार फिर जंग छिड़ने के आसार हो गए हैं। सतही तौर पर चल रही चीन और अमरीका की जंग एक बार फिर से खुलकर सामने आने की आशंका बढ़ गई है। अमरीका के प्रभुत्व से तिलमिला रहा चीन ने एक बार फिर नेपाल के कम्यूनिष्ट पार्टियों के बीच एकता कराने की कवायद तेज कर दी है। नेपाल में अपनी पकड़ कमजोर होता देख चीन ने नेपाल में आम चुनाव से ठीक पहले सभी बडे वामपंथी शक्तियों को पार्टी एकता करते हुए चुनाव में जाने का निर्देश दिया है। पिछले 24 घंटे में कम्यूनिष्ट पार्टी ऑफ चाईना के अंतरराष्ट्रीय विभाग के प्रमुख लियु जिआनचाओ ने नेपाली कम्यूनिष्ट के बड़े नेताओं से विडियो कान्फ्रेंस के जरिए बैठक की है।

Jun 25, 2022 / 03:16 pm

Anand Mani Tripathi

नेपाल में एक बार फिर जंग छिड़ने के आसार हो गए हैं। सतही तौर पर चल रही चीन और अमरीका की जंग एक बार फिर से खुलकर सामने आने की आशंका बढ़ गई है। अमरीका के प्रभुत्व से तिलमिला रहा चीन ने एक बार फिर नेपाल के कम्यूनिष्ट पार्टियों के बीच एकता कराने की कवायद तेज कर दी है। नेपाल में अपनी पकड़ कमजोर होता देख चीन ने नेपाल में आम चुनाव से ठीक पहले सभी बडे वामपंथी शक्तियों को पार्टी एकता करते हुए चुनाव में जाने का निर्देश दिया है। पिछले 24 घंटे में कम्यूनिष्ट पार्टी ऑफ चाईना के अंतरराष्ट्रीय विभाग के प्रमुख लियु जिआनचाओ ने नेपाली कम्यूनिष्ट के बड़े नेताओं से विडियो कान्फ्रेंस के जरिए बैठक की है।


चीन ने दिया दबाव
चीन ने समान विचारधारा वाले दल के फिर से एक साथ आने और साथ में चुनाव में जाने के लिए दबाब डाला है। चीनी प्रतिनिधि मंडल ने माओवादी अध्यक्ष पुष्पकमल दहल उर्फ प्रचंड से शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से और शनिवार को जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव के साथ लम्बी बैठक की है।

चीन ने किया खुलासा
सबसे बड़ी बात यह है नेपाली नेता इन मुलाकतों को छुपाते रहे लेकिन चीन ने इसका खुलासा कर दिया है। आधिकारिक बयान में सीपीसी ने कहा है कि कम्यूनिष्ट पार्टी ऑफ चाइना और नेपाल के वामपंथी दलों के बीच समान विचारधारा होने के कारण एक अलग प्रकार का ही संबंध है। ऐसे में वह नेपाल के कम्यूनिष्ट दलों के साथ अच्छे और सुदृढ संबंध स्थापित करने के लिए तैयार है।

अमरीका का स्टेटे पार्टनरशिप प्रोग्राम रदद
चीन ने अमरीका की स्टेट पार्टनरशिप प्रोग्राम रदद किए जाने को लेकर साम्यवादी दलों की प्रशंसा की है। दो दिन पहले ही चीनी प्रवक्ता ने बीजिंग में नियमित पत्रकार सम्मेलन में इस बात की प्रशंसा की थी कि नेपाल ने अमेरिकी परियोजना को ठुकरा एक स्वतंत्र, सार्वभौम और अच्छे पडोसी देश होने का परिचय दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमरीका ने जिस तरह से दबाब बनाकर नेपाल को चीन के खिलाफ बने इंडो पैसेफिक स्ट्रेटिजी के तहत लाने का प्रयास किया था और जबरन एमसीसी पास करवाया था वह वाकई में एक गलत निर्णय था।

वन बेल्ट एंड रोड के लिए जरूरी है सरकार
नेपाल में चीन की पिटठू सरकार न होने के कारण अब तक यहां चीन की बेल्ड एंड रोड परियोजना पर कोई काम नहीं हो पाया है। चीन बीआरआई के तहत परियोजनाओं को आगे बढाना चाहता है और इसके लिए नेपाल में समान विचारधारा और अनुकूल सरकार होना बहुत जरूरी है।

एक जुट हों कम्युनिस्ट

चीनी कम्यूनिष्ट पार्टी विदेश विभाग के प्रतिनिधियों ने नेपाली कम्यूनिष्ट नेताओं से कहा कि बीजिंग की इच्छा है कि नेपाल के सभी वामपंथी दल एकजुट होकर चुनाव लडे। इसके लिए चीन हरसंभव मदत करने के लिए तैयार है। पांच साल पहले नेपाल में हुए आम चुनाव से ठीक पहले चीन के ही पहल पर दो बडी कम्यूनिष्ट पार्टियां नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (एमाले) और माओवादी के बीच एकता की घोषणा हुई थी। दोनों दलों ने मिलकर पिछले चुनाव में दो तिहाई के करीब बहुमत प्राप्त किया था। इतना ही नहीं नेपाल के सात में से ६ प्रदेशों में कम्यूनिष्ट दलों की प्रचण्ड बहुमत की सरकार बनी थी। एक बार फिर आम चुनाव से पहले चीन नेपाल के कम्यूनिष्ट पार्टियों को एक करने में जुट गए हैं। नेपाल की कम्यूनिष्ट पार्टी के विभाजन के बाद ना सिर्फ ओली की सरकार गिर गई बल्कि ६ में से ५ राज्यों की सरकारें भी गिर गई थी।

अमरीका ने बढ़ाया दबाव
अमेरिका का दबदबा बढ गया था और नेपाल ने चीन को एक के बाद एक झटके देना शुरू कर दिया। नेपाल ने चीन की बीआरआई से अपने को अलग कर लिया। चीन के साथ सीमा विवाद सामने आ गया। चीन के पास रहे नेपाल के दो बड़े हाईड्रोपावर पावर प्रोजेक्ट्स छीन लिए गए और नेपाल का एक मात्र एक्सप्रेस वे निर्माण से भी चीनी कंपनी को बाहर कर दिया गया था। इस समय नेपाल पूरी तरह से अमरीकी प्रभाव में आ गया है और अमेरिका नेपाल को इंडो पैसेफिक मे ही नहीं बल्कि अमेरिकी सेना के साथ स्टेट पार्टनरसीप प्रोग्राम में भी जोड़ दिया है जिसके कारण चीन नेपाल की वर्तमान सरकार से काफी नाराज है। अमरीका की यह रणनीति चीन को घेरने के लिए ही है।

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