पेड़-पौधे लगाइए बादल चले आएंगे...झूूमकर बरसेंगे। यह कहावत चरितार्थ हो रही है रेगिस्तान के बाड़मेर जिले में। वर्ष 2000 से पहले तक दस साल में सात अकाल पड़ते थे औैर बारिश की कमी दुर्दिन दिखाती थी, लेकिन पेड़ लगाने और हरियाली बढऩे का नतीजा है कि अब यहां पर भी बरसात झूमकर होती है। फोटो:पत्रिका
पेड़-पौधे लगाइए बादल चले आएंगे...झूूमकर बरसेंगे। यह कहावत चरितार्थ हो रही है रेगिस्तान के बाड़मेर जिले में। वर्ष 2000 से पहले तक दस साल में सात अकाल पड़ते थे औैर बारिश की कमी दुर्दिन दिखाती थी, लेकिन पेड़ लगाने और हरियाली बढऩे का नतीजा है कि अब यहां पर भी बरसात झूमकर होती है। फोटो:पत्रिका