इंदौर

किस नेता ने लगाए इंदौर महापौर के मुर्दाबाद के नारे ?

नेता प्रतिपक्ष ने लगाई सवालों की झड़ी…

इंदौरJan 16, 2018 / 10:48 am

अर्जुन रिछारिया

इंदौर. दो दिनी अवकाश के बाद सोमवार को नगर निगम खुला, पर कांग्रेस पार्षदों के घेराव के चलते दोपहर 3 बजे के बाद कोई काम नहीं हो सका। महापौर-निगमायुक्त को बुलाने की मांग पर अड़े कांग्रेसी दो घंटे तक धरने पर बैठे रहे। इसके बाद वहां पहुंचे निगमायुक्त मनीष सिंह के सामने नेता प्रतिपक्ष फौजिया अलीम ने सवालों की झड़ी लगाते हुए आरोप लगाया कि स्वच्छता पर सारा अमला लगाने से अन्य सारे काम रूक गए हैं।
इस दौरान निगमायुक्त सिर्फ उनकी बात सुनते रहे। प्रदर्शन में कांग्रेस के अधिकांश पार्षदों के साथ ही कांग्रेस पदाधिकारी शामिल हुए। धरने पर बैठे कांग्रेसियों से मिलने के पहले अपर आयुक्त देवेंद्रसिंह गए, पर पार्षदों ने उन्हें ज्ञापन देने से मना करते हुए कहा, महापौर या निगमायुक्त खुद आएं, वरना रात भर यहीं धरना देंगे। लगभग एक घंटे बाद निगमायुक्त नगर निगम पहुंचे। नेता प्रतिपक्ष अलीम निगम के वायरलेस सेट पर ही महापौर मुर्दाबाद के नारे लगाती रहीं। इससे निगम के दूसरे काम बाधित होते रहे।
कांग्रेस के सवाल
-कड़ावघाट, बंबई बाजार से हटाए अधिकांश मकान मालिकों और दुकानदारों का विस्थापन व मुआवजा नहीं। मास्टर प्लान में कई स्थानों पर सडक़ 80 फ़ीट से घटाकर 60 फ़ीट की तो महापौर यहां क्यों अड़ी हैं।
-निगम परिषद की बैठक दो माह में बुलाई जानी चाहिए।
-वार्डों में विकास एवं निर्माण कार्य करने की स्वीकृति की फाइलें समीक्षा के नाम पर महापौर कार्यालय में लंबित पड़ी हैं, जिससे वार्डों में विकास एवं निर्माण कार्य ठप पड़ गए।
-29 गांव में मूलभूत सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। कर्मचारियों की ही कमी है।
निगमायुक्त के जवाब
1) कड़ावघाट के रहवासियों के साथ 15 से ज्यादा बार बैठक की। मुआवजे के रूप में एफएआर देने के प्रावधान को कोर्ट ने स्वीकृति दे दी है। सडक़ किसी भी हालत में छोटी नहीं की जाएगी।
2) जल्द निगम परिषद की बैठक को बुलाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
3) कुछ वार्डों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाएंगे।
4) जोनल समितियों का प्रस्ताव एमआईसी से स्वीकृत होकर परिषद में अनुमोदित हो चुका है, लेकिन अभी सभापति के पास लिखित में स्वीकृति नहीं आई है। हमारे स्तर पर मामला लंबित नहीं है।
महिला-पुरुष का अलग-अलग प्रदर्शन
महिला-पुरुष कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग प्रदर्शन किया। कंट्रोल रूम के सामने पुरुष पार्षद कुर्सियों पर बैठकर विरोध जताते रहे, वहीं महिला पार्षद पहली मंजिल स्थित महापौर कार्यालय के सामने हॉल में बैठकर नारेबाजी करती रहीं।
एमआईसी सदस्य यादव ने खुद तुड़वाया निर्माण
गंगवाल से लेकर सरवटे तक बनने वाली ८० फीट चौड़ी सडक़ में बाधक निर्माणों को लोग खुद ही हटाने में जुटे हुए हैं। सोमवार को इस सडक़ में बाधक बन रहे अपने मकान को एमआईसी सदस्य शंकर यादव ने खुद ही तुड़वाना शुरू कर दिया। वहीं, उनके साथ ही बियाबानी क्षेत्र में भी बाधक निर्माण हटाने का काम शुरू हो गया है। इस सडक़ में बाधक निर्माणों को लेकर नगर निगम ने नप्ती के बाद नोटिस जारी किए थे। जिसके बाद सिलावटपुरा क्षेत्र के रहवासी खुद अपने मकान तोडऩे में लगे रहे।
२२ तक नहीं हो सकेगी तोडफ़ोड़
गंगवाल से सरवटे बस स्टैंड के बीच ८० फीट सडक़ चौड़ी करने के बाधक निर्माणों को हटाने की कार्रवाई २२ जनवरी तक नहीं हो सकेगी। इस मसले पर क्षेत्रीय लोगों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई थी। सीनियर एडवोकेट आनंद मोहन माथुर के मुताबिक चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाय चंद्रचूड़ की विशेष पीठ में केस लगा था। केस का नंबर आने पर रहवासियों की ओर से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कोर्ट के समक्ष तर्क रखा कि इंदौर में एबी रोड पर रवि वाघमारे के मकान को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए जिस आदेश को आधार बनाकर इंदौर में नगर निगम और जिला प्रशासन तोडफ़ोड़ कर रहा है, वह उचित नहीं है। बिना मुआवजा दिए कैसे किसी के रजिस्टर्ड निर्माण तोड़े जा सकते हैं। चूंकि रवि वाघमारे के निर्माण को लेकर मप्र हाई कोर्ट में दायर याचिका पर जस्टिस एएम खानविलकर ने फैसला दिया था, इसलिए उन्होंने सोमवार को यह केस सुनने से इनकार कर दिया। इस पर चीफ जस्टिस ने २२ जनवरी को अन्य विशेष पीठ में याचिकाओं पर सुनवाई के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई तक क्षेत्र में कोई तोडफ़ोड़ नहीं हो सकेगा। माथुर ने बताया, इस मामले में पहले ४४ लोगों ने याचिका दायर की थी, उसके बाद २७४ लोगों ने और याचिकाएं दायर की हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई में सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के आदेश दिए हैं।

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