नवारो ने बताया तब स्कूलों को बंद कर दिया गया था, सार्वजनिक समारोह पर प्रतिबंध लगाया गया। जिसके चलते महामारी पर नियंत्रण पा लिया। रोगियों और मौतों के मामले में अमरीका काफी नीचे था। तब भी मास्क लगाना अनिवार्य किया गया था और दुकान और प्रतिष्ठानों को बंद करने के आदेश हो गए थे। उस वक्त सेन फ्रांसिस्को में मास्क नहीं लगाने पर जुर्माना लगाया गया था, जिसका विरोध भी हुआ। आज कोरोना से बचाव में भी मास्क का प्रयोग सबसे बड़ा सबक और जरूरत है। इसके बाद प्रथम विश्वयुद्ध ने विभिन्न स्तरों पर महामारी के विनाश की जमीन तैयार कर दी। जिसके चलते अमरीका महामारी की दूसरी लहर की चपेट में आ गया। नवारो ने बताया सैन्य शिविरों में महामारी सबसे पहले शुरू हुई। जिसके बाद सेना ने शिविरों में महामारी पर नियंत्रण पाने का प्रयास शुरू कर दिया।
1918 में सितंबर के अंत में फिलाडेल्फिया में रोक के बाजवूद लिबर्टी लोन परेड निकाली गई, जिसके परिणाम भयावह हुए और शहर महामारी की चपेट में आ गया। दस दिन के भीतर एक हजार मौत हो गईं। डेनवर जैसे अन्य शहरों में युद्ध समाप्ति के बाद जश्न मनाने के लिए नवंबर में प्रतिबंध हटा लिए गए, जो घातक परिणाम लेकर आए। नवारो का कहना है कि कई शहरों में लोग सामाजिक संतुलन भूलकर स्टोर्स, कैफे शॉप और थिएटरों में उमडऩे लगे।