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CORONA ALERT : एक शताब्दी पहले भी महामारी के दौरान ये जानलेवा गलती कर बैठे थे कई देश

Published: Jun 10, 2020 12:08:29 am

Submitted by:

pushpesh

-स्पेनिश फ्लू ने ली थी पांच करोड़ लोगों की जान, अकेले अमरीका में पांच लाख मौतें हुई थी
Spanish flu killed five crore people, there were five million deaths in America alone.-उस वक्त भी सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना पड़ी थी भारी (corona/covid-19)

एक शताब्दी पहले भी महामारी के दौरान ये गलती कर बैठे थे कई देश

एक शताब्दी पहले भी महामारी के दौरान ये गलती कर बैठे थे कई देश

कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच ज्यादातर देशों ने अब लॉकडाउन या तो खोल दिया है या खोलने की तैयारी में हैं। लॉकडाउन खुलते ही दुनियाभर में लोग वायरस का डर भूलकर बाहर सैर-सपाटे और घूमने निकल पड़े। अमरीका में मेमोरियल डे वीकेंड पर रेस्तरां, समुद्र तटों पर भीड़ उमड़ पड़ी तो भारत में लोग भय भूलकर बाहर निकलने लगे हैं। फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और स्वीडन में भी कमोबेश लोगों का ऐसा ही रवैया सामने आया। हैरानी इस बात की है कि लगभग एक सदी पहले 1918 की भीषण महामारी से सरकारों ने कोई सबक नहीं लिया। तब स्पैनिश फ्लू से दुनिया में पांच करोड़ लोगों की जान गई थी और अकेले अमरीका में पांच लाख से अधिक लोग मारे गए थे। मिशिगन यूनिवर्सिटी में इतिहासकार और 1918 की महामारी से प्रभावित 43 अमरीकी शहरों का अध्ययन करने वाले जे. एलेक्जेंडर नवारो ने सिलसिलेवार उन गलतियों का उल्लेख किया है, जो 1918 में लोगों ने की। इस अध्ययन से एक सवाल बार-बार पूछा जाता है कि उस वक्त महामारी के प्रसार को रोकने में सोशल डिस्टेंसिंग कारगर थी? यदि हां, तो फिर इतना विनाश क्यों हुआ था ?
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सैन्य शिविरों में महामारी की दस्तक
नवारो ने बताया तब स्कूलों को बंद कर दिया गया था, सार्वजनिक समारोह पर प्रतिबंध लगाया गया। जिसके चलते महामारी पर नियंत्रण पा लिया। रोगियों और मौतों के मामले में अमरीका काफी नीचे था। तब भी मास्क लगाना अनिवार्य किया गया था और दुकान और प्रतिष्ठानों को बंद करने के आदेश हो गए थे। उस वक्त सेन फ्रांसिस्को में मास्क नहीं लगाने पर जुर्माना लगाया गया था, जिसका विरोध भी हुआ। आज कोरोना से बचाव में भी मास्क का प्रयोग सबसे बड़ा सबक और जरूरत है। इसके बाद प्रथम विश्वयुद्ध ने विभिन्न स्तरों पर महामारी के विनाश की जमीन तैयार कर दी। जिसके चलते अमरीका महामारी की दूसरी लहर की चपेट में आ गया। नवारो ने बताया सैन्य शिविरों में महामारी सबसे पहले शुरू हुई। जिसके बाद सेना ने शिविरों में महामारी पर नियंत्रण पाने का प्रयास शुरू कर दिया।
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फिलाडेल्फिया : दस दिन में एक हजार मौतें हुई
1918 में सितंबर के अंत में फिलाडेल्फिया में रोक के बाजवूद लिबर्टी लोन परेड निकाली गई, जिसके परिणाम भयावह हुए और शहर महामारी की चपेट में आ गया। दस दिन के भीतर एक हजार मौत हो गईं। डेनवर जैसे अन्य शहरों में युद्ध समाप्ति के बाद जश्न मनाने के लिए नवंबर में प्रतिबंध हटा लिए गए, जो घातक परिणाम लेकर आए। नवारो का कहना है कि कई शहरों में लोग सामाजिक संतुलन भूलकर स्टोर्स, कैफे शॉप और थिएटरों में उमडऩे लगे।
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उस वक्त और आज कोरोनावायरस महामारी के बीच मुख्य अंतर आर्थिक परिदृश्य को लेकर है, खासकर खुदरा, रेस्तरां, थियेटर और अन्य व्यवसाय। 1918 में स्थानीय अर्थव्यवस्था पर ऐसा प्रभाव भी नहीं पड़ा, क्योंकि विनिर्माण क्षेत्र काफी मजबूत था। अब सर्विस सेक्टर अर्थव्यवस्था की बुनियाद है, लिहाजा तब से ज्यादा आर्थिक प्रभाव दिख रहे हैं। लेकिन इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि हम आर्थिक गतिविधियों में संयम और नियमों को भूल जाएं।
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