scriptसबकुछ बेचकर घूमने निकला दंपती | Couple sell everything and quit their jobs to travel the world | Patrika News

सबकुछ बेचकर घूमने निकला दंपती

locationजयपुरPublished: Jan 27, 2020 10:29:27 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

-रोज़ी बीसन अपने पति डैन के साथ घर-बार बेचकर आसैर नौकरी छोड़कर अपनी मोटरहोम गाड़ी में बच्चों संग दुनिया की सैर पर निकले हैं।

सबकुछ बेचकर घूमने निकला दंपती

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अपने परिजनों को खो देना जीवन के सबसे कठिन लम्हों में से एक है। एक ही साल में अपने माता-पिता और ससुर को खोने से रोज़ी बेयसन गहरे अवसाद में थीं। उनके पति डैन ने इस मुश्किल वक्त में उन्हें हिम्मत बंधाई और जीवन को फिर से शुरू करने का निर्णय किया। उन्होंने अपने बच्चों 8 साल के मोंटी और 5 साल की विंटर के साथ पूरी दुनिया घूमने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने अपना 85 लाख रुपए की कीमत का घर, अपनी सारी चल-अचल संपत्ति बेच दी और और अपने-अपनी नाँकरी से इस्तीफा देकर अपनी मोटरहोम गाड़ी में ही दुनिया की सैर पर निकले हैं। ब्रिटेन के डर्बीशायर की रहने वाली रोजी ने बताया कि हमने कुछ महीनों के अंतराल पर अपने तीन बुजुर्गों को खो दिया। जब उनके माता-पिता की मृत्यु हुई तब उन्हें समझ आया कि रुपयों-पैसों और माता-पिता की छोड़ी हुई जायदाद से ज्यादा उनकी मौजूदगी महत्तवपूर्ण होती है। डैन कहते हैं कि जब आप माता-पिता को खो देते हैं तो पैसा कोई मायने नहीं रखता बल्कि उनके साथ बिताईं सुखद यादें ही अनमोल होती है। इसी विचारधारा के साथ दोनों अपने बच्चों को यादों की दौलत देने के इरादे से इस सैर पर निकले हैं। उनके बेटे मोंटी को ऑटिज्म है और वे उसे अभी घर पर ही पढ़ा रहे हैं।

फरवरी 2019 में उन्होंने फ्रांस होते हुए स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को से अपना विश्व भ्रमण शुरू किया था। उन्होंने एक मोटरहोम गाड़ी खरीदने के लिए अपना घर बेच दिया था। रोजी कहती हैं कि माता-पिता की जुदाई ने हमें अहसास करवाया कि हम 9 से 5 कि ड्यूटी में अपनी जिंदगी नहीं जीना चाहते हैं। इसलिए अपने परिवार को समय और संग छुट्टियां बिताने के लिए हमें इससे बेहतर कोई रास्ता नहीं लगा। हम जब घर से चले तो हमारे सभी रिश्तेदारों और दोस्तों की आंखों में आंसूं थे लेकिन हमारे निर्णय के समर्थन में हमें उन लोगों से जो प्यार और समर्थन मिला वह वाकई अविश्वसनीय था। उनके मोटरहोम में बच्चों के लिए दो बेड, वयस्कों के लिए एक पुल-डाउन बिस्तर, एक रसोई, टेबल और कुर्सियां हैं। कुछ मोडिफिकेशन के बाद परिवार का कहना है कि यह अब घर जैसा लगता है।

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सितंबर में इंग्लैंड, बीज़ोन वेल्स के रास्ते से आयरलैंड, स्पेनिश रेगिस्तान, जिब्राल्टर और मोरक्को यात्रा के दौरान ही उन्होंने क्रिसमस मनाई। वे अपनी यात्रा के बारे में फेसबुक, ब्लॉग और द माइग्रेटरी बीज़ पर अपनी यात्रा के बारे में फोटो व वृतांत के जरिए जानकारी देते रहते हैं। साथ ही अपने एडवेंचर्स के बारे में एक किताब लिखकर उन्होंने कुछ अविश्वसनीय यादें संजोने का काम किया है। रोज़ी मानती हंै कि दुनिया को देखना उनके बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा से अधिक मूल्यवान शिक्षा है जो वे शायद कभी कक्षा में प्राप्त नहीं कर पाते। रोजी कहती हैं कि ऑटिज्म पीडि़त बेटे के साथ हर दिन आसान नहीं होता। लेकिन उन्हें खुशी है कि वे हरदम अपने परिवार के साथ हैं। उनके पास अभी सितंबर-2020 तक खर्चा चलाने लायक धन है। इसके बाद वे कुछ छोटे-मोटे काम कर अपना खर्चा चलाएंगे। इस सफर में वे ज्यादा से ज्यादा किफ़ायत बरत रहे हैं। साथ ही पर्यावरण, प्रदूषण, वॉटर और कार्बन फुटप्रिंट पर भी नियंत्रण कर रहे हैं।
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