भारतीय वायुसेना को इस उपग्रह के मिलने के बाद ड्रोन सीधे उपग्रह से संचालित होंगे। इसके माध्यम से वायु सेना के रडार स्टेशन, वायुअडडे, अवॉक्स आपस में जुड़ जाएंगे। इससे लड़ने की क्षमता में कई गुना इजाफा होगा। युद्धक विमान और अवाक्स के बीच आसानी से बातचीत हो पाएगी। अमरीका से खरीदे जा रहे सैन्य ड्रोन प्रीडेटर-बी या सी गार्डियन ड्रोन का संचालन बेहद ही मारक हो जाएगा।
सर्जिकल स्ट्राइक में सैटेलाइट आई थी काम भारत के पास अभी करीब 13 सैन्य उपग्रह हैं। इसमें से ज्यादातर रिमोट-सेंसिंग उपग्रह हैं जिनमें कार्टोसैट सीरीज और रीसैट उपग्रह शामिल हैं। ये चित्र लेने में मददगार होते हैं। इसमें से कुछ को धरती की भू-स्थैतिक कक्षा (जियो ऑरबिट) में भी स्थापित किया जाता है। इनका इस्तेमाल निगरानी, नेविगेशन और बातचीत के लिए किया जाता है। ये भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भी काफी मदद मिली थी।