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टीटीआई की सूझ बूझ ने चलती रेल गाडी में बचाई गर्भवती की जान

locationजयपुरPublished: Jun 24, 2019 06:34:28 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

12 जून की रात दो बजे नयी दिल्ली डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस में कोच संख्या बी 2 में एक महिला हुए उसका पति परेशां हाल था। महिला साढ़े सात महीने की गर्भवती थी और मुगलसराय बाद से ही उसे प्रसव पीड़ा होने लगी। ऐसे में राणा ने महिला की सुरक्षित डिलीवर करवा के दोनों के प्राण बचा लिए और रेलवे के हीरो भी बन गये।

भगवान हर जगह मदद के लिए नहीं पहुंच सकते। इसलिए वे इंसान के रूप में लोगों को मदद का जरिया बनाकर भेज देते हैं। इसी की बानगी देखने को मिली १२ जून को रेल संख्या 12424 नई दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी में। दिल्ली डिवीजन के टीटीआई एच. एस. राणा रात करीब 1 बजे कोच संख्या बी-1 से लेकर बी-4 तक टिकट चेक कर रहे थे। इस दौरान कोच संख्या 2 में पहुंचने पर उन्होंने देखा कि 43-44 नंबर पर सीट पर एक व्यक्ति परेशान हाल यहां-वहां फोन कर मदद मांग रहा है। पास ही उसकी पत्नी दर्द के मारे तड़प रही है। राणा ने व्यक्ति से पूछा कि माजरा क्या है? नई दिल्ली से बरौनी जाने के लिए निकले राजेश कुमार यादव ने बताया कि उनकी पत्नी कुमकुम साढ़े सात महीने की गर्भवती हैं। मुगलसराय स्टेशन पार करने के बाद अचानक कुमकुम को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई है। मामले की गंभीरता को समझते हुए राणा ने तुरंत मामले की जानकारी दिल्ली कंट्रोल रूम को दी और आपातकालीन चिकित्सा सेवा और डॉक्टर उपलब्ध कराने को कहा। कंट्रोल रूम ने राणा को कहा कि ढाई घंटे बाद अगला बड़ा स्टेशन बक्सर पड़ रहा है। वहां मेडिकल टीम मदद के लिए पहुंच जाएगी। इस बीच राणा ने प्रोटोकॉल के इतर जाकर रात २ बजे पूरी ट्रेन में डॉक्टर के लिए कई बार अनाउंसमेंट करवाई। लेकिन कोई डॉक्टर उस वक्त ट्रेन में नहीं था। राणा ने राजेश से कहा कि अगर वे चाहे तों आधे घंटे बाद आने वाले दानापुर में उन्हें उतारा जा सकता है। लेकिन रात का समय और छोटा स्टेशन होने के कारण राजेश ने वहां उतरने से मना कर दिया। कंट्रोल रूम ने भी वहां एम्बूलेंस व्यवस्था न हो पाने की विवशता बताई।

खुद उठाई जिम्मेदारी
महिला की हर पल बढ़ती प्रसव पीड़ा और होने वाले बच्चे की जान को खतरा देखकर राणा ने मेडिकल टीम का इंतजार करने की बजाय खुद ही जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया। उन्होंने बगलवाले केबिन में मौजूद कुछ बुजुर्ग महिलाओं की मदद से कुमकुम का प्रसव करवाने में मदद के लिए कहा। महिलाओं ने जब कुमकुम को देखा तो वे दंग रह गईं। उन्होंने राणा को बताया कि बच्चा किसी भी वक्त हो सकता है। यह सुनते ही सभी पुरुष यात्रियों को केबिन से बाहर कर कुमकुम के केबिन को चादरों से ढांक दिया गया। महिलाओं के कहने पर राणा ने प्रसव के लिए ब्लेड, गर्म पानी, धागा जैसे जरूरी सामान का इंतजाम कर दिया। महिलाओं ने अपने अनुभव और राणा की मदद से कुमकुम का सुरक्षित प्रसव करवाने में सफल रहीं। कुमकुम ने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया था। बच्ची के जन्म की खबर सुनकर पूरे बी-२ कोच के यात्रियों ने राणा के लिए जमकर तालियां बजाईं। राणा ने डिलीवरी के बाद महिलाओं के बताए अनुसार कुमकुम के लिए खाने-पीने का भी प्रबंध किया।

पारिवारिक पृष्ठभूमि आई काम
राणा ने बताया कि उनके पिता स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी थे और माता भी स्वास्थ्य विभाग में काम करती थीं। इस पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते राणा को यह निर्णय लेने में जरा भी देर नहीं लगी। उनकी सूझ-बूझ और तुरंत निर्णय ने बच्ची और मां दोनों के जीवन को बचा लिया। रेलवे विभाग ने भी राणा की रेलवे के अधिकारिक ट्विटर अकांउट पर प्रशंसा करते हुए इसे गौरव बताया। वहीं दिल्ली स्टेशन डायरेक्टर संदीप कुमार गहलोत ने भी राणा और उनके सहयोगियों को ईनाम से नवाज़ा है। राणा कहते हैं कि टीटीआई होने के नाते उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाई है। उनकी जगह कोई भी दूसरा टीटीआई होता तो वह भी ऐसा ही करता। वहीं राणा ने भारतीय रेलवे का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

पहले भी हो चुकी हैं डिलीवरी
ट्रेन में डिलिवरी का यह पहला मामला नहीं है। बीते दिनों जलपाईगुड़ी में अगरतला-हबीबगंज एक्सप्रेस में भी एक महिला की डिलीवरी हुई थी। इस ट्रेन में परेशान हो रही गर्भवती महिला की तरफ लोगों का ध्यान गया तो तीन लोगों ने डॉक्टर को ढूंढा। जब ट्रेन में कोई डॉक्टर नहीं मिला तो तीन यात्रियों ने ही मिलकर महिला की डिलिवरी कराई थी।

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