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तेरा मेरा करने में अपना समय व्यतीत नहीं करना

locationचेन्नईPublished: Oct 31, 2018 01:07:49 pm

Submitted by:

Ritesh Ranjan

साध्वी महाप्रज्ञा ने कहा जाते जाते अगर कोई बात कह दे तो वह बात दिल-दिमाग और आचरण में लानी चाहिए।

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तेरा मेरा करने में अपना समय व्यतीत नहीं करना

चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी महाप्रज्ञा ने कहा जाते जाते अगर कोई बात कह दे तो वह बात दिल-दिमाग और आचरण में लानी चाहिए। जैसे पिता अंतिम समय में अपने बेटे को वसीयत देकर जाते हैं। महावीर उत्तराध्ययन सूत्र में अपने उपासकों को अंतिम वसीयत देकर गए। यह वसीयत जीवन में उतार ली जाए तो स्व और पर कल्याण हो जाएगा। उत्तराध्ययन सूत्र में बताया गया है कि तेरा मेरा करने में अपना समय व्यतीत नहीं करना चाहिए। यदि ऐसा किया तो जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाओगे। प्रभु ने संसार में चार ्रप्रकार के गड्ढे बताए हैं पेट का गड्ढा, समुद्र का गड्ढा, तृष्णा का गड्ढा व श्मशान का गड्ढा। इन चारों गड्ढों में नो एंट्री का बोर्ड नहीं है। पेट कभी भरा नहीं। आज टिफिन भरा कल खाली। नई नई चीजें खाने की चाहत रहती है। समुद्र में कितनी नदिया आई पर समुद्र कभी भरा नहीं। तृष्णा, इच्छा कभी पूरी नहीं होती। श्मशान घाट कभी भरता नहीं। उत्तराध्ययन सूत्र की एक एक शिक्षा को जीवन में उतारने का प्रयास करोगे तो जीवन उज्ज्वल बनेगा। संसार में रहकर भी संसार आप में नहीं हो। जिस तरह मक्खी शहद पर बैठती है और एक मिश्री पर बैठती है। शहद पर बैठी हुई मक्खी मर जाती है जबकि मिश्री पर बैठी हुई मक्खी उड़ जाती है। व्यक्ति भी संसार में रहकर मिश्री वाली मक्खी की तरह अलिप्त रहे तो वह जीवन उत्थान के पथ पर अग्रसर रहेगा।
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