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व्हिसलब्लोअर: यह महिला वैज्ञानिक करेगी चीन को बेनक़ाब, डॉ. ली-मेंग देंगी वैज्ञानिक सुबूत कि लैब में बना था कोरोना वायरस

locationजयपुरPublished: Sep 12, 2020 06:10:55 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

डॉ. ली-मेंग यान ने हाल ही चीन का पर्दाफाश करने के लिए ऐसे वैज्ञानिक सुबूत सार्वजनिक करने जा रही हैं जो साबित कर देंगे कि दुनिया भर में 9.20 लाख से ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस वुहान की एक लैब में बना था न कि किसी मीट बाजार से जैसा चीन सरकार कहती आई है।

व्हिसलब्लोअर: चीन की डॉ. ली-मेंग यान देंगी वैज्ञानिक सुबूत कि कोरोना वायरस लैब में बना था

व्हिसलब्लोअर: चीन की डॉ. ली-मेंग यान देंगी वैज्ञानिक सुबूत कि कोरोना वायरस लैब में बना था

हाल ही एक टीवी कार्यक्रम में ‘चैम्पियन वुमन’ सीरीज के अंतर्गत पहली बार इंटरव्यू दे रहीं चीन की व्हिसलब्लोअर (Chinese Whistleblower Dr. Li-Meng Yan) डॉ. ली-मेंग यान ने ऑनलाइन हिस्सा लिया। डॉ. यान ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए शो के होस्ट से कहा कि दुनिया भर में करोड़ों लोगों को संक्रमित करने वाला कोरोना वायरस (Corona Virus) जीवों से नहीं आया था बल्कि यह वुहान शहर (Vuhan City) की प्रयोगशाला में मानव (Man Made) द्वारा बनाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि चीन सरकार (Chinese Officials) जिस मीट मार्केट (Wet Market) से वायरस के फैलने को अब तक तथाकथित कारण बताती आ रही है दरअसल ऐसा है ही नहीं। क्योंकि वुहान की उस मीट मार्केट में एक स्मोकस्क्रीन (Smokescreen-संदिग्ध गतिविधियों को छुपाने के लिए धुंए की परत बनाना) है और यह शंका पैदा करता है कि कोविड-19 वायरस जीवों से मनुष्यों में पहुंचा है।
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दावा : चीनी प्रयोगशाला में बना वायरस
जब डॉ. यान से पूछा गया कि कोरोनोवायरस की उत्पत्ति कहां से हुई है तो इस महिला वैज्ञानिक ने कहा कि यह प्रयोगशाला में बनाया गया है। वुहान की जिस प्रयोगशाला में इस जानलेवा वायरस को बनाया गया वह चीनी सरकार के नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि वे अपने इस दावे को साबित करने के लिए जल्द ही कुछ वैज्ञानिक प्रमाण भी सार्वजनिक करने वाली हैं ताकि चीन का सच दुनिया के सामने रख सकें। गौरतलब है कि चीन के खिलाफ बोलने के बाद से ही हांगकांग (Hongkong) से भागने के बाद डॉ. यान वायरस एक गुप्त स्थान पर छुपी हुई हैं। Interview भी उन्होंने इसी जगह से लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग (Live Video DStreaming) के जरिए दिया है। उन्होंने कहा कि जो रिपोर्ट वे सार्वजनिक करेंगी उन्हें वह भी समझ सकता है जिसने कभी जीव विज्ञान (Biology) न पढ़ा हो।

डॉ. यान के दावे का आधार यह
डॉ. यान के दावों का आधार दरअसल जीव विज्ञान ही है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक जिंदा जीव का जीनोम अनुक्रम (Genome Sequence) इंसान के फिंगरप्रिंट (Fingerprint) की तरह होता है जिसका उपयोग कर हम यह पता लगा सकते हैं कि इसकी उत्पत्ति कहां से हुई है। उन्होंने कहा कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि यह घातक वायरस चीन की प्रयोगिक लैब तक कैसे पहुंचे और इन्हें बनाने के पीछे का असल मकसद क्या था। यान का कहना है कि पूरी दुनिया आज इस वायरस से लड़ रही है इसलिए पूरी दुनिया को यह जानने का हक है कि इस वायरस का जन्म कैसे हुआ वरना हम कभी इसे हरा नहीं पाएंगे। यह वायरस हमारी नस्ल तबाह कर सकता है। हांगकांग से बचकर भागने के बाद वह इस इंटरव्यू के माध्यम से पहली बार सामने आई हैं।

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उनके शोध को भी किया नजरअंदाज
डॉ. ली-मेंग यान ने चीन पर यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने वायरस के बारे में मेरे उस शोध को भी नजरअंदाज कर दिया जिससे लोगों की जान बच सकती थी। गौरतलब है कि डॉ. यान हांगकांग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ विश्वविद्यालय (Hongkong School of Public Health University) में काम करती थीं। यह विश्वविद्यालय वायरोलॉजी और इम्यूनोलॉजी (Virology and Immunology) में विशेषज्ञता रखता है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) के वैश्विक महामारी विज्ञान नेटवर्क और संक्रामक रोग अनुसंधान के लिए दुनियाभर में उसके अग्रणी केंद्रों में से एक है।

क्योंकि डॉ. यान मंदारिन भाषा (Mandarin चीन की राजभाषा) जानती थीं इसलिए उन्हें चीन में शोध करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यान को चीन की लैब में सार्स वायरस (Sars Virus) से मिलते-जुलते वायरस के निशान मिले। यान का दावा है कि वायरस इसी लैब से इंसानों तक पहुंचा है और उनके पास इसके पुख्ता सुबूत हैं। उन्होंने तुरंत अपने सुपरवाइजर्स को अपने निष्कर्षों के बारे में बताया। लेकिन उन्होंने उसके शोध को नजरअंदाज कर दिया जो लाखों की जान बचा जा सकता था। इतना ही नहीं लैब के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और वहां नियंत्रण करने वाले चीनी अधिकारियों ने उसे खामोश करने की भी कोशिश की थी। उन्हें डर था कि डॉ. यान यह सब सार्वजनिक कर सकती हैं।
व्हिसलब्लोअर: चीन की डॉ. ली-मेंग यान देंगी वैज्ञानिक सुबूत कि कोरोना वायरस लैब में बना था
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अधिकारिक वेबसाइट से हटाया शोध
बाद में उन्होंने अमरीकी नागरिकता प्राप्त हमवतन यूट्यूबर (Youtuber) की मदद से यह खुलासा किया कि कैसे वायरस के बारे में चीन की रिपोर्ट आने से पहले ही कोरोनोवायरस के मानव-से-मानव (Man-to-Man Transmission) संचरण के बारे में जान चुकी थीं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्होंने यह खुलासा चीन या हांगकांग में रहते हुए किया होता तो उन्हें पूरा यकीन था कि वे गायब हो जातीं या अब तक उन्हें मार डाला गया होता। क्योंकि चीन में व्हिसलब्लोअर्स के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है। उनके अमरीका भाग जाने के बाद हांगकांग विश्वविद्यालय ने अपनी अधिकारिक साइट से उनके शोध पत्र को तुरंत हटा दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने डॉ. यान के अधिकारिक ईमेल्स और ऑनलाइन पोर्टल्स को भी निष्क्रिय कर दिया था। विश्वविद्यालय ने एक बयान जारी कर यह भी कह दिया कि वे अब विश्वविद्यालय से जुड़ी हुई नहीं हैं।

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