भरतपुर

देखिए शहरी सरकार: दम तोड़ रहा ड्रेनेज सिस्टम, जहां बैठते हैं जिले व संभाग के बड़े अफसर वहां भी भरा पानी

-बारिश के बाद शहर में बिगड़े हालात, करीब तीन घंटे तक निचली इलाकों में भरा रहा पानी, कुछ इलाकों में घर में भी घुसा पानी

भरतपुरAug 10, 2020 / 08:20 pm

Meghshyam Parashar

देखिए शहरी सरकार: दम तोड़ रहा ड्रेनेज सिस्टम, जहां बैठते हैं जिले व संभाग के बड़े अफसर वहां भी भरा पानी

भरतपुर. शहर में पिछले कुछ दिन बाद सोमवार को जमकर बरसात हुई। जहां एक ओर आमजन ने गर्मी से राहत महसूस की तो दूसरी ओर यह बरसात आफत बनकर बरसी। शहर के दो दर्जन से अधिक कॉलोनियों में भर गया। कहीं गंदगी के कारण नाले अवरुद्ध होने तो कहीं अतिक्रमणों के कारण नाले रुकने से मकानों में भी पानी भर गया। हकीकत यह नगर निगम का बोर्ड बनने के बाद से ही यह मुद्दा सुर्खियों में भी रहा है कि शहर में बारिश के मौसम में पानी भर जाता है। फिर भी शहरी सरकार की ओर से अभी तक इस बड़े मुद्दे पर कुछ भी नहीं किया है। यही कारण एक बार फिर हर साल की तरह शहर की जनता को जलभराव का सामना करना पड़ रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर की आम जनता को तो जलभराव की समस्या का सामना दशकों से करना पड़ ही रहा है, साथ ही जहां जिले व संभाग के बड़े अफसर बैठते हैं, उनके कार्यालय के सामने स्थित सड़कें भी तालाब बनकर बहने लगी।
शहर के राजेंद्र नगर, जवाहर नगर, स्वर्ण जयंती नगर, तिलक नगर, विजय नगर, इंद्रा कॉलोनी, सुभाष नगर, संजय नगर कॉलोनी, ईदगाह कॉलोनी, बापू नगर, सुभाष नगर, गिरीश विहार कॉलोनी, गणेश नगर, जामा मस्जिद, नगर निगम के पीछे, कोली बस्ती, संभागीय आयुक्त कार्यालय के सामने, कलक्ट्रेट परिसर, नगर निगम परिसर आदि इलाकों में पानी भर गया। बताया जाता है कि भरतपुर शहर को बसाते समय जल निकासी तंत्र पर विशेष फोकस रखा गया था। अलग-अलग इलाकों के पानी की निकासी के लिए करीब 20 बड़े नाले बनाए गए थे। इनका पानी शहर के चारों ओर बनी कच्ची खाई (सीएफसीडी) में जाता था, लेकिन बीते तीन दशकों में हुए अनियोजित विकास के कारण सरकूलर रोड के बाहर कृषि भूमि पर कई आवासीय कॉलोनियां बसा दी गई। इनमें ना तो सड़कों की व्यवस्था की गई और ना ही जलनिकासी के लिए नालियों और नालों का तंत्र ही पूरी तरह विकसित किया गया। इसके साथ ही नालों और बहाव क्षेत्र में मकान बनाने से लेवल कहीं ऊंचा और कहीं नीचा हो गया। समय के साथ ही शहर के बाहरी व निचले इलाकों में हालत खराब होती चली गई। इसका नतीजा यह हुआ कि अब यहां बरसात के मौसम में मकानों में भी पानी घुस जाता है।
हर बैठक में उठता रहा है जलभराव का मुद्दा

नगर निगम या शहरी समस्याओं को लेकर पिछले पांच-10 साल के दौरान जितनी भी बैठक हुई हैं, उन सभी बैठकों में जलभराव का मुद्दा उठता रहा है। हालांकि यह भी सच है कि सीएफसीडी निर्माण से ही जलभराव की समस्या का समाधान हो सकता है, परंतु चुनाव के समय भले ही सीएफसीडी मुद्दा बनती रही है। चुनाव के बाद इस बड़े मुद्दे को नेताओं की ओर से भुला दिया जाता है।
-22 नालों की सफाई का टेंडर दिया था। सफाई भी हुई है। पोकलेन मशीन की निविदा निकाली गई थी। वो बहुत देरी से आई थी। वह काम रही है। वार्ड 27 में काम रही है। एक ही पोकलेन मशीन है। कुछ नालों पर अतिक्रमण के कारण भी परेशानी आ रही है। इसका निस्तारण भी जल्द कराया जाएगा।
अभिजीत कुमार
मेयर नगर निगम
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