scriptखानी की बर्बादी से पर्यावरण को भी खतरा | Environment is also threatened by waste of food | Patrika News

खानी की बर्बादी से पर्यावरण को भी खतरा

Published: Nov 24, 2020 11:19:36 pm

Submitted by:

pushpesh

-लैंडफिल में बर्बाद हुआ भोजन कार्बन डाइ ऑक्साइड और मीथेन पैदा करता है

खानी की बर्बादी से पर्यावरण को भी खतरा

खानी की बर्बादी से पर्यावरण को खतरा

पिछले दिनों ‘मॉम’ के संस्थापक व सीईओ स्कॉट नैश ने कुछ ऐसा किया, जो डराने वाला है। नैश ने एक्सपायरी डेट के एक महीने बाद योगर्ट खाया। ये सब नैश के परीक्षण का हिस्सा था, जो समाप्ति तिथि को पार कर गया। कई मामलों में समाप्ति की तारीखें यह इंगित नहीं करती कि भोजन कब तक खाना सुरक्षित है, बल्कि ये बताती हैं कि ये कब तक खाने योग्य हैं और कब ये बेस्वाद हो जाएंगे। मांस, दूध, चीज, आलू और सलाद जैसे पदार्थ, जिन्हें आप गर्म नहीं करते, सुरक्षा कारणों से उन्हें नियत तिथि के बाद फेंक देना चाहिए।
हार्वर्ड फूड लॉ एंड पॉलिसी क्लीनिक की 2003 की रिपोर्ट में 91 फीसदी उपभोक्ताओं ने कहा कि वे कभी-कभी एक्सपायरी डेट से पहले भी खाद्य पदार्थों को इसलिए फेंक देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है ये सुरक्षित नहीं हैं। लैंडफिल में बर्बाद हुआ भोजन कार्बन डाइ ऑक्साइड और मीथेन पैदा करता है, जो ग्रीनहाउस गैसों में 36 गुना तक इजाफा करता है। यानी भोजन की बर्बादी से आप कैलोरी और पैसे की ही बर्बादी नहीं कर रहे हैं, पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
दो तरह की लेबलिंग का सुझाव
-पहला, दी गई तिथि तक प्रयोग करने तक बेस्ट (ये उत्पाद की गुणवत्ता दर्शाता है, यानी उत्पादन तिथि जैसा स्वादिष्ट नहीं है, लेकिन सुरक्षित है)
-और दूसरा दी गई तारीख तक प्रयोग करने योग्य (उन उत्पादों के लिए जो जल्दी खराब होते हैं और उन्हें नियत तिथि के बाद फेंकना चाहिए)।
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