खास खबर

‘रंग राजस्थान’ में दिखा युवाओं का प्रयोगात्मक रंगमंच

रंग मस्ताने गु्रप के थिएटर और फोक फेस्टिवल की शुरुआत, पहले दिन नाटक ‘मेरी ताल’ और ‘ऊंदरा’ की प्रस्तुति

Jan 03, 2019 / 10:04 pm

Anurag Trivedi

‘रंग राजस्थान’ में दिखा युवाओं का प्रयोगात्मक रंगमंच

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र के रंगायन और कृष्णायन सभागार में गुरुवार को राजस्थानी रंगमंच के प्रयोगात्मक रंग देखने को मिले। जहां योगेन्द्र सिंह परमार के निर्देशन में प्रस्तुत नाटक ‘मेरी ताल’ में रिद्म की कलात्मक खोज को दिखाया गया। वहीं राकेश खत्री निर्देशित नाटक ‘ऊंदरा’ में मानवता और प्रेम के संदेश के साथ इंसान के चिंतन, सपनों और महत्वाकांक्षाओं की आशा व निराशा को परिभाषित किया। मशहूर लेखक जॉन स्टीनबैक की रचना ‘ये आदमी ये चूहे’ पर आधारित था, जिसे राकेश खत्री ने राजस्थानी भाषा में अनुवादित कर पेश किया।
जन्म से मृत्यु तक का रेखांकन

नाटक ‘मेरी ताल’ को सोलो एक्ट के जरिए गरीमा पारीक ने बड़े ही आत्मीयता के साथ प्रस्तुत कर तालियां बटोरी। नाटक में एक भी डायलॉग नहीं है, लेकिन कलाकार की अदायगी पूरे दृश्य को सच्चाई के साथ बयां करती है। नाटक गर्भ से बाहर आते बच्चे की कहानी से शुरू होता है और लड़की से यौवन और अंत में मौत के विभिन्न दृश्यों को प्रस्तुत कर खत्म होता है। इसमें कलाकार रिद्म यानी ताल की खोज में है, जो उसे हर अवस्था में अलग अंदाज में मिलता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, अपने खोज के प्रति उसकी जिझासा बढऩे लगती है। इसी अंदाज को खूबसूरत लाइटिंग और लाइव म्यूजिक के जरिए बयां किया गया।
मानवीय भावना और करुणा बेरहम जिन्दगी

नाटक ‘ऊंदरा’ दो खानाबदोश भूमिहीन मजदूरों के बारे में है, जो रोजगार की तलाश में जगह-जगह भटकते रहते हैं। एक एेसे दौर में जब हर आदमी आपाधापी में पड़ा है और जिन्दगी की चूहा-दौड़ में हर मुमकिन उपाय से औरों को कुचलकर आगे बढ़ जाने के लिए परेशान है, ये दोनों मेहनतकश इंसान, जग्गू और लोरी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। उनमें से जग्गू बुद्धिमान और चतुर है, वहीं लोरी शारीरिक रूप से मजबूत तो है, लेकिन मानसिक रूप से अविकसित और असहाय है। लोरी की हर संकट और मुसीबत में जिस आत्मीयता और वफादारी से रक्षा करता है, वह जितनी विरल है उतनी ही गहरी मानवीयता से भरपूर भी है। वास्तव में इन दो बेबस मजदूरों के बहाने नाटक में इंसान के चिंतन , स्वप्नों और आकांक्षाओं की , आशा और निराशा की बेहद झक झोर देने वाली कथा है। इसमें मानवीय भावना और करुणा बेरहम जिन्दगी के अंधकार में धूप की किरण की तरह झिलमिलाती रहती है।
नाटक के कार्य व्यवहार में, एक ओर इंसान और पशु के बीच लगाव व इंसानियत और पशुता की धुंधली सीमा-रेखा को दिखानेवाले प्रसंग है। दूसरी ओर, लोरी के हाथों एक अनचाही हत्या के कारण उसके खून के प्यासे लोगों की कू्रर प्रतिहिंसा से उसे बचाने के लिए , स्वयं जग्गू की ओर से उसे गोली मारने के लिए बाध्य होने के प्रसंग में ऐसी विडम्बना का संयोजन, दर्शकों को भीतर तक हिला देती है। नाटक में आरिफ खान, रोहन सिंह, एजाज खान, सचिन, लवीना सहित कई ने अभिनय किया।
रूबरू हुए डायरेक्टर

नाटकों की प्रस्तुति के बाद संवाद सत्र रखा गया। पहले सत्र में योगेन्द्र सिंह परमार ने आशीष पाठक के सवालों का जवाब दिया। वहीं दूसरे सत्र मे राकेश खत्री ने विशाल चौधरी के सवालों का जवाब दिया।

Home / Special / ‘रंग राजस्थान’ में दिखा युवाओं का प्रयोगात्मक रंगमंच

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.