scriptफांसी के फंदे से जुड़े इन तथ्यों को जान आप भी हो जाएंगे हैरान | fansi ke fande se jude tathy | Patrika News

फांसी के फंदे से जुड़े इन तथ्यों को जान आप भी हो जाएंगे हैरान

Published: Dec 21, 2016 12:30:00 pm

Submitted by:

राहुल

लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ये जो फांसी का फंदा
होता है ये बनता कहाँ है? इसकी रस्सी कहाँ से आती है? इसका वजन कितना होता
है? ये कैसे बनती है? इसे बनाता कौन है?

fansi ke fande se jude tathy

fansi ke fande se jude tathy

आपने ख़बरों में, अखबारों में शायद ही मुमकिन हो कि कोई ऐसा मामला देखा हो जहाँ किसी कैदी को फांसी के फंदे पर लटकाया गया हो. लेकिन हाँ! आपने फिल्मों में जरूर देखा होगा कि कैसे एक अपराघी को फांसी के फंदे पर लटकाया जाता है। यहाँ तक तो ठीक है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ये जो फांसी का फंदा होता है ये बनता कहाँ है? इसकी रस्सी कहाँ से आती है? इसका वजन कितना होता है? ये कैसे बनती है? इसे बनाता कौन है? ऐसे बहुत सारे सवाल आपके जहन में आते होंगे!

हम आज आपको इन सारे सवालों का जबाब देंगे।

जहां तैयार होता है फांसी का फंदा-
Image result for open prison in india

आपको यह जानकर थोड़ी सी हैरानी हो सकती है, कि अंग्रेजों के जमाने से ऐसी ही व्यवस्था चली आ रही है। इतना ही नहीं, देश के किसी भी कोने में फांसी देने की अगर नौबत आती है तो फंदा सिर्फ बिहार के बक्सर जेल में ही तैयार होता है।

168 किलो का होता है फंदा, मनीला रस्सी का इस्तेमाल:

Image result for सूर्योदय से पहले ही दी जाती है फांसी
फांसी का फंदा मनीला रस्सी से बनता है। ब्रिटिश काल में पहले फिलीपिंस की राजधानी मनीला में फांसी के लिए रस्सी तैयार होती थी। बाद में बक्सर जेल में वैसी ही रस्सी का निर्माण होने लगा। इसी वजह से उस रस्सी का नाम मनीला रस्सी है। कच्चे सूत की एक-एक कर 18 धागे तैयार किए जाते हैं। सभी को मोम में पूरी तरह भिगो दिया जाता है। उसके बाद सभी धागों को मिलाकर एक मोटी रस्सी तैयार की जाती है।

फंदा भी 168 किलोग्राम वजनी होता है। दरअसल, इस जेल में अंग्रेजी शासनकाल में बनी मशीन है. इसी मशीन की मदद से फांसी का फंदा बनाने वालों की टीम 20 फीट मनिला रस्सी बनाती है. इसी से कैदियों को फांसी दी जाती है।

ऐसे तैयार होता है फांसी का फंदा-

Image result for 168 किलो का होता है फंदा
एक मनिला रस्सी बनाने में 172 धागे को मशीन में पिरोकर घिसाई के बाद इसे बनाया जाता है। सबसे बेहतर धागा के लिए जे-34 रूई का इस्तेमाल किया जाता है। कुल आठ लच्छी को रात में गंगा नदी के किनारे से आने वाली नमी और ओस से मुलायम किया जाता है। कुल तीन रस्सी को एक साथ मशीन में घुमाकर मोटी रस्सी बनती है।

अब तक बन चुकी है 27 मनिला रस्सी-

Image result for मनीला रस्सी
इस प्रक्रिया से गुजर कर कुल 20 फीट लंबी रस्सी बनाई जाती है जो एक शख्‍स को फांसी देने के लिए पर्याप्त है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मार्च 2013 से अभी तक 27 मनिला रस्सी देश के विभिन्न जेलों में भेजा जा चुका है।

सबसे बड़ी बात यह है कि बक्सर का यह सेन्ट्रल जेल गंगा नदी के किनारे होने के कारण फांसी का फंदा यानी की मनिला रस्सी बनाने में ज्यादा कारगर है। फंदा बनाने के दौरान नमी की बहुत जरूरत होती है, जिससे रस्सी मुलायम और मजबूत होती है।

कैदी ही तैयार करते हैं फांसी का फंदा-

Related image
ब्रिटिश काल से ही बक्सर जेल के कैदी मौत का फंदा तैयार कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वहां के कैदी इसे तैयार करने में माहिर माने जाते हैं। सजायाफ्ता कैदियों के लिए तय काम और प्रशिक्षण में एक मौत का फंदा तैयार करने का हुआ करता था। पुराने कैदी नए कैदियों को जूट और रस्सी के अन्य उपयोग की चीजों के अलावा फंदा बनाने का प्रशिक्षण देते थे। बक्सर जेल में यह सिलसिला अब भी जारी है।

सूर्योदय से पहले ही दी जाती है फांसी-
Image result for सूर्योदय से पहले ही दी जाती है फांसी

क्या आप जानते हैं कि अपने देश में किसी भी दोषी को फांसी की सजा सूर्योदय से पहले ही क्यों दी जाती। यह बात बहुत कम लोग ही जानते हैं। आज हम आपको इसी बात को बताने जा रहे हैं कि आखिर किसी भी दोषी को फांसी की सजा सुबह के समय ही देने का प्रावधान अपने देश में क्यों है!
 
कुछ लोगों का इस बारे में कहना है कि जेल के सारे काम असल में सूर्योदय के समय ही पूरे होते हैं। इसीलिए फांसी की सजा पाए व्यक्ति को सूर्योदय से पहले ही फांसी पर चढ़ा दिया जाता है ताकि जेल के अन्य कार्यो में कोई परेशानी न हो सके। फांसी के 10 मिनट बाद डॉक्टरों का पैनल फांसी दिये गये व्यक्ति को चेक करके बताता है कि उसकी मौत हो गई है या नहीं।

इसके बाद ही उस व्यक्ति को फांसी के फंदे से उतारा जाता है। फांसी देने से पूर्व दोषी से जेल प्रशासन उसकी आखिरी इच्छा को पूछता है जो कि जेल के मैनुअल के तहत ही होती है। दोषी किसी धर्म ग्रंथ को पढ़ने की या अपने किसी परिजन से मिलने की अपनी इच्छा को बता सकता है। यदि ये इच्छाएं जेल के मैनुअल में हैं तो ये पूरी कर दी जाती हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो