मोबाईल नंबर को बैंक खाते से लिंक कराने गाडासरई जाते हैं किसान
डिंडोरी•Nov 24, 2021 / 12:19 pm•
shubham singh
Farmers troubled by weather and government rules
बजाग. मौसम के हर दिन बदलते मिजाज ने किसानों को परेशान कर रखा है। खेतो में कटी पड़ी फसल के नुकसान का भय का किसानों को सता रहा है। वहीं सरकार के नए नए नियम और किसानों के लिए आफत बन कर आ गए हैं। धान पंजीयन करवाने वाले किसानों को पंजीयन की तारीख खत्म होने के बाद पहले आधार कार्ड में मोबाईल नंबर और फिर मोबाईल नंबर को बैंक खाते में लिंक करने के नए नियम ने किसानों को परेशानी में डाल रखा है।
खेतों में पड़ी है फसल
पिछले चार-पांच दिनों से बजाग विकास खण्ड में मौसम का मिजाज बदला हुआ है। बीती शाम से लगातार हुई बारिश की बदौलत खेतों में किसानों की कटी फसल खराब हो रही है। फसल समेटने में लगे किसान को अचानक से पहले मोबाईल को आधार सेंटर जाकर आधार में लिंक करवानें फिर बैंक जाकर खाते में वही मोबाइल नंबर लिंक करवाने का भी मैसेज मिल गया है। ऐसे में जब किसान को अपनी भीगती फसल समेटना चाहिए तब किसान आधार केंद्र और बैंक में लाइन लगाकर खडा है।
बजाग में लिंक करने की मांग
पुरानी तहसील स्थित आधार सेंटर में मोबाईल नंबर लिंक के लिए ज्यादा पैसे मांगने के बाद ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष बजाग लोकेश पटेरिया, कांग्रेस नेता उत्तम ठाकुर, रंजीत धुर्वे ने आधार केंद्र प्रभारी को ज्यादा पैसे ने लेने की समझाईश दी। वहीं आधार में मोबाइल नंबर लिंक होने के बाद किसान को मोबाईल नंबर को बैंक खाते में लिंक कराने गाडासरई जाना पड रहा है। बजाग में कॉपरेटिव बैंक की शाखा होने के बावजूद किसान को 20 किलोमीटर दूर गाड़ासरई भेजा जा रहा है। इस संबंध में लैम्प्स प्रबंधक नंदकुमार साहू ने बताया कि कोर बैंकिंग ना होने के कारण किसानों को समस्या हो रही हैं। किसानों ने मांग की है की बजाग में ही आधार और मोबाईल नंबर लिंक करने की व्यवस्था की जाए।
इनका कहना है
बारिश में खेतों में पड़ी फसल समेटने की जगह किसान आधार और मोबाइल नंबर लिंक कराने विवस हैं। बजाग में ही खाता लिंक करने व्यवस्था होना चाहिए।
हीरा परस्ते, किसान
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हमको फसल समेटना है। पानी मे पूरी धान भीग गई है अब हम धान समेटे या लिंक करवाएं। शासन ने परेशान कर रखा है।
प्यारेलाल वाटिया, किसान
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पूरा दिन बजाग में आधार बनाने में खत्म होता है एक दिन गाड़ासरई में। बारिश के कारण एक-एक पल महत्वपूर्ण है।
दुर्वाशा बाई, किसान