scriptकुव्यवस्था की शिकार अन्न संरक्षण प्रणाली | food preservation system Fail in Madhya pradesh | Patrika News

कुव्यवस्था की शिकार अन्न संरक्षण प्रणाली

locationशाहडोलPublished: Sep 15, 2021 12:02:05 am

Submitted by:

shubham singh

शहडोल सहित प्रदेश भर में ओपन कैप स्टोरेज पर अब तक जितनी राशि खर्च हुई है, उतने में कई गोदाम तैयार हो जाते

food preservation system

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संभाग ही नहीं प्रदेश में किसान जितना उत्पादन करते हैं, उनकी उपज को भंडारित और सुरक्षित करने में सरकार और प्रशासन उतनी ही नाकाम है। शहडोल और अनूपपुर के उदाहरण सामने हैं, जहां ओपन कैप में रखी धान पूरी बारिश भीगती रही। बोरियों में अंकुरण तक हो गया। मामले ने तूल पकड़ा तो अधिकारियों ने खुद की गलतियों पर पर्दा डालने के लिए अधूरी और गलत जानकारी दे दी। जांच में धान की खराबी बताई लेकिन अंकुरित बोरियों को टीम पहुंचने से पहले ही गायब करा दिया। शहडोल सहित प्रदेश भर में अनाज के रखरखाव के लिए शासन-प्रशासन सुरक्षित व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। ओपन कैप स्टोरेज पर अब तक जितनी राशि खर्च हुई है, उतने में कई गोदाम तैयार हो जाते। लेकिन सरकार की राशि अनावश्यक खर्च कर जेब भरने की ये प्रक्रिया बन गई है। बजाय गोदाम में भंडारित करने के ओपन कैप तैयार तैयार कराए जाते हैं। इसमें दो तरह का नुकसान हो रहा है। सरकार की राशि भी खर्च हो रही है और अनाज भी खराब हो रहा है। स्वाभाविक तौर पर इसमें नीचे से ऊपर तक कमीशन बंट रहा होगा। अन्यथा सरकार के स्तर पर कब का स्थायी व्यवस्था के बारे में सोच लिया जाता। हालांकि उपाय बहुत खर्चीले हैं और सरकार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है, फिर भी चरणबद्ध रूप से ऐसे उपायों के बारे में सोचा जा सकता है। जरूरत सिर्फ इच्छा शक्ति और साफ चरित्र की है। सरकार के स्तर पर दृढ़ता दिखाई जाएगी, तो नीचे किसी की मजाल नहीं होगी व्यवस्था में अड़ंगा डालने की। समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाएगी। ऐसी ही दृढ़ता की सरकार से अपेक्षा अनाज खराब होने के बाद की धांधली मिटाने के संबंध में भी रहती है। अभी जब अनाज खराब होता है तो कंपनियों को सस्ते दरों पर बेच दिया जाता है या फिर गठजोड़ कर इसकी मिलिंग करा दी जाती है। फिर उसी अनाज की सार्वजनिक वितरण प्रणाली से आपूर्ति कर दी जाती है। अनाज खराब न होने पाए और खराब हो जाए, तो गठजोड़ से उसकी मिलिंग न हो, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए। सरकार को किसानों की वक्त पर यूरिया-डीएपी नही मिलने की पीड़ा भी दूर करनी चाहिए। शहडोल संभाग में अभी भी 150 किमी दूर यूरिया-डीएपी के लिए रैक लग रहा है। सवाल है कि आखिर कब तक अन्नदाता प्रशासनिक कुव्यवस्था का शिकार होता रहेगा। सरकार को इन परेशानियों को दूर करने के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।
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