महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए जरूरी है उनकी आर्थिक आजादी
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मद्देनजर अरुम्बाक्कम स्थित डी.जी. वैष्णव कॉलेज में महाविद्यालय की एनएसएस यूनिट एवं लायंस क्लब ऑफ मद्रास फोर्ट सेंट जॉर्ज के सहयोग से सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ अनबॉर्न चाइल्ड (एसपीयूसी) इंडिया द्वारा एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए जरूरी है उनकी आर्थिक आजादी
चेन्नई. अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मद्देनजर अरुम्बाक्कम स्थित डी.जी. वैष्णव कॉलेज में महाविद्यालय की एनएसएस यूनिट एवं लायंस क्लब ऑफ मद्रास फोर्ट सेंट जॉर्ज के सहयोग से सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ अनबॉर्न चाइल्ड (एसपीयूसी) इंडिया द्वारा एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। महाविद्यालय प्रबंधन समिति के सचिव अशोक कुमार मूंदड़ा द्वारा दीप प्रज्वलित किए जाने से शुरू इस संगोष्ठी का उद्घाटन प्राचार्य डॉ. जी. गणेशन ने किया। उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि लाख लैंगिक समानता की बात करने के बावजूद समाज में लडक़ों की अपेक्षा लड़कियों की देखभाल कम की जाती है। एशिया में लगभग 100 मिलियन महिलाएं आज भी अपने अधिकारों से वंचित हैं। नोबल पुरस्कार विजेता एवं अमत्र्यसेन के मुताबिक महिलाओं की आर्थिक आजादी उनके पारिवारिक अधिकारों की सुरक्षा एवं सामाजिक दुव्र्यवहार से उनकी रक्षा कर सकती है। एसपीयूसी इंडिया के संस्थापक न्यासी मोतीचंद बिन्नानी ने कहा कि अजन्मे बच्चे के मानवाधिकार को सरकार द्वारा संवैधानिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सही मायने में 16 सप्ताह के बाद गर्भपात पर प्रतिबंध लगना चाहिए लेकिन भारत के कई राज्यों में जमकर गर्भपात कराया जाता है। देश के आर्थिक विकास के लिए महिलाओं का योगदान जरूरी है। इस दौरान लॉयन आर. मुरली ने भी इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस संगोष्ठी में महानगर के विभिन्न महाविद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस दौरान वहां लॉयन उषा बोहरा, लॉयन भावना त्रिवेदी, लॉयन कृष्णकांत नथानी, लॉयम मितेश शाह समेत भारी संख्या में लोग मौजूद थे। स्वागत भाषण एनएसएस की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. प्रेमा ने दिया।
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