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मुनाफा भूल जाओ, मूल में भी ‘धूल

Published: Oct 24, 2021 03:59:10 pm

Submitted by:

harisingh gurjar

—क्विंटलों निकलने वाली उपज किलो के हिसाब से निकल रही

Forget profit, even dhul in the mul

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अरुण त्रिपाठी
झालावाड़. जिलेभर में इन दिनों किसान फसल निकालने में जुटे हैं, लेकिन उनकी उम्मीदों के मुताबिक उत्पादन नहीं होने से चिंतित हैं। जहां क्विंटलों के हिसाब से एक बीघा में फसल निकलनी चाहिए थी, वहां आज किलो के हिसाब से उपज निकल रही है। यह सब बारिश के दौरान लगातार मौसम की बैरूखी के कारण हुआ है।
पहले तो किसानों ने बारिश के दौरान महंगा बीज खरीदकर बुआई की, जैसे-तैसे फसल में बढ़वार हुई, लेकिन जुलाई-अगस्त में लगातार बारिश से बीज खराब हो गया। धरतीपुत्रों ने फिर से बीज की रोपाई की। इस बार भी झमाझम बारिश से खेतों में पानी भर गया और कई दिनों तक यही हालात रहने से खड़ी फसलें गल गई, कई जगहों पर अगेती फसलों में फलियां बन गई थी, लेकिन पानी भरा होने से फलियां अंकुरित हो गई। इसके बाद रही कसर बांधों से छोड़े पानी ने पूरी कर दी। नदी किनारे बसे गांवों के खेतों में उगी फसल बाढ़ के पानी की वजह से बह गई। कई कच्चे मकान गिर गए और मवेशी बह गए। कई गांवों में आई बाढ़ का मंजर अभी भी आसानी से देखा जा सकता है।

—लागत के भी लाले
इन दिनों फसलें तैयार हो रही हैं। जगह-जगह किसान खेतों में थ्रेसर व कम्बाइड मशीनों से फसलों को तैयार करा रहे हैं, लेकिन निकल रहे उत्पादन ने किसानों की हालात खस्ता कर दी है। स्थिति यह है कि अधिकांश किसानों को मुनाफा छोड़ तो लागत के भी लाले पड़ रहे है। बुवाई के दौरान बारिश ठीक रही तो किसानों ने जोर शोर से फसलों की बुवाई की। मौसम भी अनुकूल रहा तो किसानों को फसलोत्पादन ठीक रहने की उस वक्त उम्मीद जगी, लेकिन मानूसन सीजन शुरू होते ही अगस्त माह में फसलों के बढ़वार के समय से लेकर मानसून विदाई सितंबर के अंतिम सप्ताह में फसल के पकाव के दौरान हुई अतिवृष्टि ने किसानों की सारी उम्मीदों को काफूर कर दिया। इन दिनों खेतों में उड़द ब सोयाबीन की फसल तैयार हो रही हैं, लेकिन किसान उपज देख मायूस हैं।

—बढ़ रही परेशानी
किसानों ने महंगे दामों में बीज खरीदा तो खाद.दवाइयों की व्यवस्था कर जैसे-तैसे फसल बचाई, लेकिन लगातार बारिश ने फसल बर्बाद कर दी। खानपुर उपखंड के अधिकांश खेतों में सोयाबीन का उत्पादन आधी से एक बोरी निकल रहा है। जिन खेतों में फसलों में पानी भराव रहा, वहां तो उपज किलोग्राम में निकल रही है।
—-यूं समझें गणित
1 बीघा जमीन में सोयाबीन पर खर्च
खेत हंकाई खर्च 400 रुपए
सोयाबीन बीज भाव 10 हजार
1 बीघा जमीन में 30 किलो बीज पर खर्च 3000
ट्रैक्टर से औराई खर्च 900 सौ रुपए प्रति घन्टा
कुलपा निकाला 1000 रुपए
खरपतवार नाशक दवाई दी, 2 बार खर्च 400 रुपए
कटाई की मजदूरी कम से कम 1000
कटी हुई सोयाबीन एकत्रित करने पर खर्च 500 रुपए
थ्रेसर में निकलाते समय रुपए कम से कम 500
—छापी बांध में जलभराव से नुकसान
छापी नदी किनारे गांवों के खेतों में बारिश के दिनों में जलभराव रहने से जमीन में लम्बे समय तक नमीं बनी रहती है। अतिवृष्टि के समय छापी बांध की भराव क्षमता पूर्ण होने के पश्चात उमरिया भालता, भील भालती, तालाब, भालती, होड़ा, मानपुरा, बैरागढ़, सेमली, खेड़ला, जागीर समेत अन्य गांवों में खेतों में खड़ी फसल में पानी भर जाता है। खेतों में उगी सोयाबीन मक्का की फसल गल जाती है। जानकारी के अनुसार छापी बांध की दांयी व बायीं नहरों से पानी छोडऩे के बाद दिसम्बर महीने में जाकर खेतों में गीलापन खत्म होता है।
भालता. 4 बीघा खेत में सोयाबीन की बुआई की थी। इसमें खेत तैयार करने के बाद बुआई बीज खरीदी खर्च खरपतवार नाशक दवाइयों पर करीब 25 हजार का व्यय हुआ। अतिवृष्टि से सोयाबीन की फसल ग्रोथ नही ले स्की। पौधों का बौनापन व छोटी छोटी फलियों से उत्पादन प्रभावित हो गया। खेतों में अभी तक नमी होने व छोटी फसल काटने की स्थिति नहीं होने के कारण खेत में पशुओं को चरने के लिए छोड़ दिया।
शिवनारायण दांगी, किसान, उमरिया
पनवाड़. अतिवृष्टि के कारण इस बार खासी गिरावट आई है। सोयाबीन एक बीघा में एक से दो कट्टा निकल रही है। बाढ़ से ज्यादा प्रभावित किसानों के तो किलोग्राम में उपज निकल रही है।
देवकरण नागर, किसान, बागोद
रटलाई. पिछले वर्षों की अपेक्षा सोयाबीन पैदावार पर असर पड़ रहा है। खर्च के अनुसार एक बीघा में करीब 4 क्विंटल सोयाबीन की पैदावार हो तब किसानों को इसका लाभ मिले, वहीं 20 बीघा में मात्र 14 क्विंटल सोयाबीन ही निकली है। जिसमें खर्च कई ज्यादा हो गया है। इस प्रकार से सोयाबीन बुवाई किसानों के लिए घाटे का सौदा हो रहा है।
सुजानसिंह गुर्जर, अध्यक्ष भारतीय किसान संघ, इकाई रटलाई
झालरापाटन. अतिवृष्टि होने से इस वर्ष सोयाबीन की पैदावार काफी कम हुई है इससे खर्च के मुकाबले लागत नहीं मिलने से सोयाबीन घाटे का सौदा साबित हो रही है। पिछले वर्ष उनके खेत में एक बीघा में 500 किलो सोयाबीन की उपज हुई थी, जबकि इस वर्ष एक बीघा में 50 किलो सोयाबीन की पैदावार हुई है, जबकि इस वर्ष बीज भी महंगी दर पर खरीदा था।
राघवेंद्र सिंह, किसान, कलमंडीखुर्द
झालरापाटन. अतिवृष्टि के कारण इस बार सोयाबीन उम्मीद के मुकाबले काफी कम पैदावार हुई है। जिससे खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है। पिछले साल उनके खेत में प्रति बीघा 300 से 400 किलो तक सोयाबीन की पैदावार हुई थी, जबकि इस वर्ष एक बीघा में 100 किलो सोयाबीन भी पैदा नहीं हुई है। राकेश नागर, किसान, बिरियाखेड़ीकलां
झालरापाटन. इस बार लगातार बरसात होने और बाद में तेज बरसात होने से सोयाबीन की फसल को काफी नुकसान हुआ है। बरसात नहीं रुकने से सोयाबीन की फसल में खरपतवार लग गई। इसके साथ ही इल्ली रोग लग जाने से सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई। जिससे इस वर्ष एक बीघा में 50 से 100 किलो तक ही सोयाबीन की पैदावार हुई, जबकि पिछले वर्ष एक बीघा में 300 किलो से 400 किलो तक सोयाबीन हुई थी।
रतिराम गुर्जर, किसान, गुराडिय़ा
अकलेरा. अगले साल किसानों का सोयाबीन एक बीघे में 50 किलो से अधिक निकली थी। इस साल किसानों को एक बीघा में 10 से 20 किलो सोयाबीन निकल रही है।
राजेंद्र वर्मा, भारतीय किसान संघ जिला राजस्व प्रमुख, मनोहरथाना क्षेत्र
अकलेरा. इस वर्ष जोरदार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। किसानों ने अच्छे मुनाफे की मंशा से खरीफ के सीजन में सोयाबीन-मक्का की बुआई की लेकिन अतिवृष्टि से मेहनत पर पानी फिर गया। यह वर्ष सोयाबीन मक्का कुछ भी नहीं निकली है।
लक्ष्मण लाल, किसान
खानपुर. एक हैक्टेयर में हंकाई, बुवाई, बीज, कीटनाशक और फसल तैयार करने का खर्चा 30 हजार आया है और उपज केवल 5 क्विंटल निकली है। ऐसे में भाव के हिसाब से प्रति हैक्टेयर करीब 6 हजार का नुकसान हुआ है। जबकि गत वर्ष प्रति बीघा 2 से 3 क्विंटल उपज निकलने से मंडियों में बम्पर आवक हुई थी।
ओमप्रकाश नागर, किसान, जगदीशपुरा
खानपुर. अब फसल कटने और तैयार होने के बाद किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। पदमिया, भोजूखेड़ी, दोबड़ा, कालारेवा सहित आस के गांवों में 50 फीसदी फसलें पानी में डूबने से खराब हो गई। कई गांवों में तो खड़ी फसलें किसानों ने हकवा दी, तो कई गांव में फसलें मवेशियों के हवाले कर दी गई।
जितेंद्र सिंह राजावत, काश्तकार, पदमिया
बकानी. इस बार अतिवृष्टि होने की वजह से फसलों का उत्पादन बहुत कम हुआ है, जिससे लागत भी नही निकल पा रही है। पहले सोयाबीन 4 क्विंटल प्रतिबीघा निकली थी और इस बार 40 किलो प्रति बीघा निकल रही है।
मनोहर सिंह चौहान, भारतीय किसान संघ अध्यक्ष
बकानी. बाढ़ के पानी की वजह से सब कुछ तबाह हो गया है अब तो हालात बहुत खराब हो चुके है। सरकार किसानों की समस्या को ध्यान में रखते हुए फसल बीमा योजना दिलवाए।
जगदीश शृंगी, कोटड़ाघटा
बकानी. फसलें तबाह हो चुकी हंै, सरकार मुआवजा दें तो किसानों को राहत मिले।
बालचन्द दांगी

बकानी. ज्यादा बारिश की वजह से फसल का उत्पादन बहुत कम हुआ है, मजदूरी भी नही निकल पा रही है।
शांताराम माली, रेपला
भीमसागर. सर्किल क्षेत्र में बारिश की वजह किसानों को काफी नुकसान हुआ है। इस बार एक हैक्टेयर में 3 से 6 क्विंटल के बीच उत्पादन हो रहा है। किसानों के नुकसान रिपोर्ट पहले बनाकर भेज दी थी।
मलखान मीणा, कृषि सहायक अधिकारी, बाघेर
भीमसागर. खेत में सोयाबीन की फसल 50 बीघा में बुवाई की, जिसमें उत्पादन सिर्फ 30 कट्टों का निकल रहा है। इस को बेचकर जो पैसा आएगा, उससे लागत भी नहीं निकल पाएगी।
मुकेश नागर, किसान
भीमसागर. फसलोत्पादन में खासी गिरावट आई है। बारिश से ज्यादा प्रभावित किसानों के तो किलोग्राम में उपज निकल रही है।
हंसराज नागर, किसान

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