-01 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म नहीं होना चाहिए वैश्विक वार्षिक तापमान, विशेषज्ञों के अनुसार
-05 साल सबसे गर्म वर्षों में दर्ज किए गए हैं 2015 से 2019 तक
-02 गुना तेजी से पिघलेगा वैश्विक स्तर पर इस साल आर्कटिक महाद्वीप, दक्षिण अमरीका, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में सूखाग्रस्त क्षेत्र बढ़ेंगे, डब्ल्यूएमओ के मुताबिक
-70 फीसदी आशंका है कि आगामी पांच सालों में एक से ज्यादा महीनों में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म होंगे
-2030 तक जीवांश्म ईंधन पर रोक लगाना या कमी लाने को ही एकमात्र उपाय मानता है डब्लूएमओ इससे निपटने का
-2/3 (60फीसदी) मछलियों की प्रजातियां वर्ष 2100 तक लुप्त हो जाएंगी अगर औसत वैश्विक तापमान में 5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो जाए तो
-03 गुना ज्यादा है दक्षिणी ध्रुव का तापमान 1989 से 2018 के औसतन वैश्विक तापमान से, शोध के अनुसार
-07 गुना ज्यादा तेज है दक्षिणी ध्रुव पर तापमान वृद्धि की दर पूरे महाद्वीप की तुलना में
-60 मीटर तक समुद्र का वैश्विक जलस्तर बढ़ जाएगा अगर अंटार्कटिका महाद्वीप की सारी पिघल जाए (एमंडसेन-स्कॉट स्टेशन, अमरीकी वैज्ञानिक शोध केन्द्र के अनुसार)
-0.61 सेल्सियस प्रति दशक की रफ्तार से अकार्टिका महाद्वीप के औसत तापमान में वृद्धि हो रही है
-2002, 2009, 2013, 2018 और 2019 21वीं सदी के सबसे गर्म साल रहे हैं
-30 फीसदी वैश्विक भूमि और समुद्र की सुरक्षा करने से हम 2030तक जैव विविधता को नष्ट होने से बचा सकते हैं
-10 ट्रिलियन डॉलर अब तक खर्च किए जा चुके हैं कोविड-19 को रोकने में दुनिया भर में, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार
-0.016 फीसदी की वैश्विक जीडीपी जितना खर्च आएगा दुनिया की 30 फीसदी भूमि और समुद्री जैव विविधता को बचाने में
-114 सालों (1900 से 2015 के बीच) में पृथ्वी के सबसे पुराने एक तिहाई वन क्षेत्र का सफाया हो गया है
-32 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का तापमान होने पर उष्णकटिबंधीय वनों का विकास रुक जाता है और वे नष्ट होने लगते हैं जिसे कार्बन का पुन: पर्यावरण में उत्सर्जन होने लगता है (लीड्स विश्वविद्यालय और मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी)