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विषय से दूर होकर ही मिलेगा परमात्मा

locationचेन्नईPublished: Nov 10, 2018 02:31:43 pm

Submitted by:

Ritesh Ranjan

आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा कि दुनिया गोल है यह कहावत सच लगती है।

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विषय से दूर होकर ही मिलेगा परमात्मा

चेन्नई. कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में विराजित आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा कि दुनिया गोल है यह कहावत सच लगती है। आदमी घनचक्कर की तरह घूमता रहता है। बैल की आंख पर पट्टी बंधी है वह एक ही जगह घूमता रहता है। वह सोचता है कि बहुत घूम लिया लेकिन आंख की पट्टी खुलने पर पता चलता है कि सब कुछ वही का वही है। वही घास, चारा और वो ही मालिक। आत्मा बैल की भांति विषय भोग का चक्कर लगाती रहती है। वो ही चार संज्ञाएं। सारा संसार इनकी चाहत में सच झूठ कर रहा है। और कर्म सत्ता के इशारे पर नाच रहा है। मंदिर की नीव चौकोर समचतुष्क है और मंदिर गोल है, शिखर का गुबंद कलशाकार है। भगवान इशारा कर रहे हैं कि मेरे समान विषय भोगों से खुद को दूर करो। क्रोध, लोभ, मान, माया की चौकड़ी पर जीवन की इमारत खड़ी है और घड़ी के कांटों की तरह तीव्र गति से घूम रही है। आदमी सोचता है कि अकल का ठेका मेरे पास ही है। सबको सलाह देने को तत्पर रहता है। तो भटकना है और प्रज्ञा जाग्रत होती है तो संभलता है। स्त्री की चूडिय़ां गोल, बिंदी की गोल, आदमी की बुद्धि भी गोल है। जब तक इच्छाएं गोल यानि शून्य न हो तब तक आदमी घूमता रहता है। सब गोलमाल है। सब एक दूसरे का माल गोल करते हंै और गोल करने में लगे है। नेता प्रजा के लिए नहीं अपने लिए जीता है। श्री और स्त्री सबकी बुद्धि गोल करते है। अत्यधिक धन ऐसी सजा है जिसका जितना धन बढ़ता जाएगा, आदमी भी वृद्ध होता जाएगा। ऐसे वृद्ध व्यक्ति को रोग घेरते जाते है और परिजन उसकी मृत्यु देखने को आतुर हो जाते हैं। सब गोल है और एक दूसरे से जुड़े है। सब गोल है और एक दूसरे से जुड़े है।

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