क्रेडिट का लाभ नहीं
हाल में जारी हुए नोटिफिकेशन के मुताबिक अगर सेलर ने अपने मासिक रिटर्न में सेल डिटेल्स नहीं डाला तो अब खरीदार का इनपुट टैक्स क्रेडिट पूरी तरह से रुक जाएगा। दूसरा दूसरा जीएसटीआर और 3 बी में गड़बड़ी होने पर बिना नोटिस अधिकारियों को रिकवरी करने का अधिकार मिल जाएगा। साथ ही अगर कारोबारी को टैक्स अधिकारी के गलत असेसमेंट को चुनौती देनी है तो सबसे पहले 25 प्रतिशत पेनाल्टी की रकम विभाग में जमा करानी होगी ।
नए कानून से तिमाही रिटर्न भरने वाले छोटे कारोबारियों की दिक्कतें बढ़ेंगी क्योंकि इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के लिए हर महीने रिटर्न भरना जरूरी होगा। वहीं रिटर्न में एक बार गड़बड़ी हो गई तो सुधारने का मौका भी नहीं मिलेगा। कारोबारी सरकार और जीएसटी काउंसिल से नियमों पर पुनर्विचार की अपील कर रहे हैं।
हाल में जारी हुए नोटिफिकेशन के मुताबिक अगर सेलर ने अपने मासिक रिटर्न में सेल डिटेल्स नहीं डाला तो अब खरीदार का इनपुट टैक्स क्रेडिट पूरी तरह से रुक जाएगा। दूसरा दूसरा जीएसटीआर और 3 बी में गड़बड़ी होने पर बिना नोटिस अधिकारियों को रिकवरी करने का अधिकार मिल जाएगा। साथ ही अगर कारोबारी को टैक्स अधिकारी के गलत असेसमेंट को चुनौती देनी है तो सबसे पहले 25 प्रतिशत पेनाल्टी की रकम विभाग में जमा करानी होगी ।
नए कानून से तिमाही रिटर्न भरने वाले छोटे कारोबारियों की दिक्कतें बढ़ेंगी क्योंकि इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के लिए हर महीने रिटर्न भरना जरूरी होगा। वहीं रिटर्न में एक बार गड़बड़ी हो गई तो सुधारने का मौका भी नहीं मिलेगा। कारोबारी सरकार और जीएसटी काउंसिल से नियमों पर पुनर्विचार की अपील कर रहे हैं।
वित्त अधिनियम 2021 का हिस्सा को अब किया है सरकार ने लागू
नियमों में यह बदलाव इस साल की शुरुआत में संसद द्वारा पारित वित्त अधिनियम 2021 का हिस्सा हैं, लेकिन उनके लागू होने की तारीख की घोषणा अभी की गई है। नए नियमों में कई मुद्दों को शामिल किया गया है जिसमें कर योग्य आपूर्ति (taxable supply), कर क्रेडिट के लिए पात्रता (tax credits) और कुछ मामलों में अपील दायर करने के मानदंड शामिल हैं। माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से गलत बिल दिखाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
नियमों में यह बदलाव इस साल की शुरुआत में संसद द्वारा पारित वित्त अधिनियम 2021 का हिस्सा हैं, लेकिन उनके लागू होने की तारीख की घोषणा अभी की गई है। नए नियमों में कई मुद्दों को शामिल किया गया है जिसमें कर योग्य आपूर्ति (taxable supply), कर क्रेडिट के लिए पात्रता (tax credits) और कुछ मामलों में अपील दायर करने के मानदंड शामिल हैं। माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से गलत बिल दिखाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
जीएसटी का दायरे में अब क्लब और एसोसिएशन भी
संशोधनों में कहा गया है कि किसी व्यक्ति द्वारा अपने सदस्यों को नकद, विलम्बित भुगतान या अन्य मूल्यवान प्रतिफल के लिए लेनदेन को कर योग्य आपूर्ति (taxable supply) के रूप में माना जाएगा। इसका मतलब यह होगा कि सभी क्लब और एसोसिएशन सदस्यों के साथ अपने लेनदेन जीएसटी के अधीन होंगे।
संशोधनों में कहा गया है कि किसी व्यक्ति द्वारा अपने सदस्यों को नकद, विलम्बित भुगतान या अन्य मूल्यवान प्रतिफल के लिए लेनदेन को कर योग्य आपूर्ति (taxable supply) के रूप में माना जाएगा। इसका मतलब यह होगा कि सभी क्लब और एसोसिएशन सदस्यों के साथ अपने लेनदेन जीएसटी के अधीन होंगे।
आदेशों के खिलाफ अपील करने के लिए व्यवसायों को 25 प्रतिशत जुर्माना
नकली चालानों का इस्तेमाल करने वाली गलत फर्मों द्वारा अप्रत्यक्ष कर चोरी सरकार के लिए एक सिरदर्द बन रही है। इसलिए सख्त टैक्स क्रेडिट नियम कारोबारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए अलर्ट करते हैं कि उनके आपूर्तिकर्ता अपने मासिक बिक्री रिटर्न में लेनदेन के विवरण का तुरंत खुलासा करें। नियमों के उल्लंघन में स्टोरेज या ट्रांसपोर्टेशन के लिए सामान जब्त करने के मामलों में आदेशों के खिलाफ अपील करने के लिए व्यवसायों को 25 प्रतिशत जुर्माना देना होगा। यह प्रावधान भी 1 जनवरी से लागू होगा। पहले इस तरह की गड़बड़ियां सामने आने पर जीएसटी विभाग की तरफ से नोटिस जारी किया जाता था और फिर वसूली की प्रक्रिया शुरू होती थी। लेकिन नए साल से अधिकारी सीधे ही वसूली की कार्रवाई शुरू कर सकते हैं।
नकली चालानों का इस्तेमाल करने वाली गलत फर्मों द्वारा अप्रत्यक्ष कर चोरी सरकार के लिए एक सिरदर्द बन रही है। इसलिए सख्त टैक्स क्रेडिट नियम कारोबारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए अलर्ट करते हैं कि उनके आपूर्तिकर्ता अपने मासिक बिक्री रिटर्न में लेनदेन के विवरण का तुरंत खुलासा करें। नियमों के उल्लंघन में स्टोरेज या ट्रांसपोर्टेशन के लिए सामान जब्त करने के मामलों में आदेशों के खिलाफ अपील करने के लिए व्यवसायों को 25 प्रतिशत जुर्माना देना होगा। यह प्रावधान भी 1 जनवरी से लागू होगा। पहले इस तरह की गड़बड़ियां सामने आने पर जीएसटी विभाग की तरफ से नोटिस जारी किया जाता था और फिर वसूली की प्रक्रिया शुरू होती थी। लेकिन नए साल से अधिकारी सीधे ही वसूली की कार्रवाई शुरू कर सकते हैं।
नैचुरल जस्टिस के खिलाफ ऐसे कानून इस तरह के प्रावधानों से छोटे कारोबारियों को भारी दिक्कत होगी। कारोबारियों सलाह कि सिर्फ टैक्स कंप्लायंस कंपनी या विक्रेता से ही कारोबार करें, अन्यथा पूंजी आईटीसी में ब्लाक हो जाएगी। सरकार को समझना होगा कि इस तरह कानून नेचुरल जस्टिस के खिलाफ हैं।
यशस्वी शर्मा, वरिष्ठ जीएसटी सलाहकार
यशस्वी शर्मा, वरिष्ठ जीएसटी सलाहकार