बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आज है हैप्पी बर्थडे
Published: Mar 01, 2016 12:55:00 am
नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च, 1951 को कबीराज राम लखन सिंह और परमेश्वरी देवी के घर हुआ था
पटना। पिछले साल अपनी पार्टी जनता दल (यू) को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर बिहार में पुन: सत्ता में लेकर आने वाले नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च, 1951 को कबीराज राम लखन सिंह और परमेश्वरी देवी के घर हुआ था। उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और वे आधुनिक बिहार के निर्माता अनुराग नारायण सिन्हा के काफी करीब थे। नीतीश 2005 से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। वह केंद्र सरकार में रेल मंत्री भी रहे। हालांकि, 2014 के आम चुनावों में बिहार में पार्टी को मिली करारी हार के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने 17 मई, 2014 मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी जगह जीतन राम मांझी को प्रदेश का नया मुखिया नियुक्त किया गया। लेकिन, मांझी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के कुछ समय बाद उठे राजनैतिक विवाद के बीच नीतीश फरवरी, 2015 को प्रदेश के फिर से मुख्यमंत्री बने। नवंबर 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के चुनाव जीतने के बाद वह फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
राजनैतिक करियर
नीतीश जयप्रकाश बाबू से काफी प्रभावित रहे और 1974 एवं 1975 में उनके संपूर्ण क्रांति आंदोलन में शामिल रहे थे। साथ ही उस समय के महान समाजसेवी एवं राजनेता सत्येंद्र नारायण के भी काफी करीबी रहे थे। नीतीश पहली बार बिहार विधानसभा के लिए 1984 में चुने गए थे। 1986 में वे युवालोकदल के अध्यक्ष बने।
केंद्र में मंत्री
1998-1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री एवं भूतल परिवहन मंत्री रहे और बाद में कृषि मंत्री भी रहे। अगस्त 1999 में गैसाल में हुए रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने मंत्रीपद से अपना इस्तीफा दे दिया। रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने इंटरनेट टिकट बुकिंग, तत्काल टिकट सुविधा के साथ साथ कई आरक्षण कार्यालय खोलने जैसी सुविधाएं यात्रियो के लिए शुरू की। वाजपेयी ने 1999 में उन्हें फिर से कैबिनेट में शामिल कर कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी। 2001 से मई 2004 तक फिर से वे रेल मंत्री रहे। 2004 के आम चुनावों में उन्होंने दो जगहों से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में वह नालंदा से सांसद चुने गए लेकिन अपनी पारंपरिक सीट बारह से हार गए।
जदयू ने भाजपा के साथ मिलकर 2005 में बिहार विधानसभा का चुनाव जीता। नीतीश को गठबंधन सरकार का मुखिया चुना गया। उनकी सरकार ने स्कूल जाने के लिए लड़कियों को साइकिलें बांटी जिससे प्रदेश के स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश लेने का प्रतिशत बढ़ गया। 2010 में फिर से विधानसभा के लिए हुए चुनाव में जदयू-भाजपा गठबंधन फिर से सत्ता पर काबिज हुआ। 26 नवंबर, 2010 को नीतीश ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राजग गठबंधन 206 सीटें जीतने में कामयाब रहा, जबकि राजद के खाते में महज 22 सीटें ही आईं।
इस्तीफा
नरेंद्र मोदी को 2014 के आम चुनावों में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से नाराज नीतीश की पार्टी ने अपने सहयोगी दल से 17 साल पुराना नाता तोड़ अकेले ही बिहार में आम चुनाव लडऩे का फैसला किया। हालांकि, चुनाव में उनकी पार्टी जदयू को मिली करारी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह जीतन राम मांझी को प्रदेश का नया मुखिया चुना गया।
2015 बिहार विधानसभा चुनाव
प्रदेश में उठे राजनैतिक उठापटक के बीच नीतीश ने 22 फरवरी, 2015 को फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव उनके लिए काफी कठिन परीक्षा साबित हुई। भाजपा को रोकने के लिए जदूयू ने राजद, कांग्रेस समाजवादी पार्टी राकांपा के साथ महागठबंधन बनाया। हालांकि, सीटों के बटवारे पर नाराजगी जताते हुए समाजवादी पार्टी इस गठबंधन से अलग हो गई। 3 अगस्त, 2015 को नीतीश ने घोषणा की कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। महागठबंधन प्रदेश की 178 सीटें जीतने में कामयाब रहा, जबकि भाजपा और उसके सहयोगी दल महज 58 सीटें जीतने में कामयाब रहे। लालू की पार्टी 80 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि नीतीश की पार्टी के खाते में 71 सीटें आईं। 20 नवंबर, 2015 को नीतीश ने रिकॉर्ड पांचवी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।