(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने यमन के रहने वाले छात्र शकर मंसूर मोहम्मद को परीक्षा में बैठने की मंजूरी नहीं देने और बोनाफाइड सर्टिफिकेट जारी नहीं करने पर निम्स यूनिवर्सिटी व प्रमुख यचिव उच्च शिक्षा सहित अन्य से जवाब मांगा है। जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह अंतरिम निर्देश रालसा के जरिए दायर छात्र की याचिका पर गुरुवार को दिया।
एडवोकेट शालिनी श्योरान ने बताया कि छात्र निम्स यूनिवर्सिटी से पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में बीटेक कर रहा है । उसके खिलाफ नारकोटिक्स कानून में मुकदमा दर्ज होने के आधार पर यूनिवर्सिटी उसे परेशान कर रही थी और उसे परीक्षा में बैठने की मंजूरी नहीं दे रही थी। छात्र रालसा से कानूनी मदद मांगी थी। रालसा ने मुफ्त में कानूनी सहायता के तौर पर एडवोकेट श्योरान को छात्र का वकील नियुक्त किया था।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि छात्र को नारकोटिक्स केस में तीन महीने जेल में रहना पड़ा था। इस कारण वह अगस्त में परीक्षा नहीं दे पाया। यमन और भारत सरकार के बीच हुए समझौते के तहत वह भारत में रहकर पढ़ाई कर रहा है और यूनिवर्सिटी की ओर से बोनाफाइड स्टूडेंट सर्टिफिकेट जारी होने के बाद ही उसको एफआरआरओ स्टे वीजा जारी होगा। उसे परीक्षा में शामिल नहीं कर उसके मानवीय व कानूनी अधिकार से वंचित किया जा रहा है। अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यूनिवर्सिटी व राज्य सरकार को जवाब देने के लिए कहा।