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हाइटेक युग: योगी सरकार में इलेक्ट्रॉनिक चाक से कुम्हारों ने बनाए दिये

कम मेहनत में ज्यादा माल का निर्माण और ठीक-ठाक मुनाफा देने के लिए योगी सरकार ने कुंभकारों को इलेक्ट्रोनिक चाक मुहैया कराए हैं।

Oct 18, 2017 / 07:20 pm

Rahul Chauhan

शामली। गोल पहिया, गीली मिट्टी का ढेर, पहिेए के बीच में मिट्टी के दीपों की बार-बार उभरती आकृति और गोल पहिए को रफ्तार देता मटियाले रंग के कपड़े पहने पसीनों से तर-बतर आदमी। जी हां, आप सही पहचान रहे हैं। दरअसल यह दीपावली पर्व पर जगमग करने के लिए मशक्कत करता कुंभकार ही है।
मिट्टी के बर्तनों, दीपों और मटकों को सुंदर आकृति इसी चाक पर दी जाती है। कड़ी मेहनत, संघर्ष और कम मुनाफा ही कुंभकार की पहचान होती है, लेकिन चाइनीज सामान व दीपों के बहिष्कार से इस बार कुंभकारों की किस्मत बहुरने वाली है। कम मेहनत में ज्यादा माल का निर्माण और ठीक-ठाक मुनाफा देने के लिए योगी सरकार ने कुंभकारों को इलेक्ट्रोनिक चाक मुहैया कराए हैं।
हाइटेक युग ने अब कुंभकारों के लिए भी राहत के दिन निकाल ही लिए है। शामली में इलेक्ट्रोनिक चाक पर दीपों व दूसरे मिट्टी के बर्तनों का भंडार हो रहा है। देश के बाजार में चाइनीज सामान की पकड़ बढ़ी तो कुंभकारों के बुरे दिन शुरू हो गए। चाइनीज झालरों, दीपों और बल्ब ने देशी दीपकों को बिक्री की रफ्तार को कुंद कर दिया। नतीजा, कुंभकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया।
चाइना के पाक प्रेम का पर्दाफाश हुआ तो देश में चाइना के खिलाफ बिगुल बजा। सोशल मीडिया से शुरू हुआ विरोध धरातल पर आ पहुंचा, लेकिन कुंभकारों की मेहनत का फल उन्हें नहीं मिल पा रहा था। वजह साफ थी, मिट्टी के चाक पर अधिक मेहनत करने पर भी दीपों की संख्या कम ही रह जाती थी। बार-बार चाक घुमाने से शाम तक कुंभकार की हालत पतली होना लाजमी था, लेकिन साल-2017 कुंभकारों के लिए खुशखबरी लेकर आया है।
योगी सरकार ने बरेली, लखनऊ समेत विभिन्न जनपदों में कुंभकारों को बढ़ावा देने के लिए टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक चाक ईजाद किया गया। इलेक्टॉनिक चाक में हाथ से बार-बार इसे घुमाने की समस्या से निजात तो मिल ही गई, बल्कि दीपों का निर्माण भी तेजी से होता है। हाल ही में बड़े बाजारों में इलेक्ट्रॉनिक चाक से बने दीप ही नजर आ रहे हैं।
ऐसा है इलेक्ट्रॉनिक चाक
कुंभकारों के लिए इलेक्ट्रॉनिक चाक खास किस्म का बनाया गया है। यह चाक गोल ही होता है, लेकिन इसे बिजली से चलाया जाता है। इसमें एक किलोवाट का इलेक्ट्रिक मोटर लगा होता है। स्टेंडनुमा बॉडी पर बना चाक की रफ्तार को घटाने व बढ़ाने की भी सुविधा दी गई। हाथ के चाक की अपेक्षा इस इलेक्ट्रानिक चाक पर तेजी से दीपक, मटकी, सुराई समेत विभिन्न सामान बनाया जा सकता है। हाथ के चाक पर तीन घंटे में जितने दीपक बनते है, उतने ही दीपक केवल एक घंटे में इस चाक पर बनाए जा सकते है।
मिट्टी के सामान की क्वालिटी
इलेक्ट्रोनिक चाक की रफ्तार बराबर रहती है, जबकि हाथ के चाक की थोड़ी ही देर में धीमी होनी लगती है। ऐसे में दीपक व अन्य मिट्टी के सामान की क्वालिटी पर फर्क पड़ता है। इलेक्ट्रोनिक चाक एक सी रफ्तार होने से दीपक की गुणवत्ता बेहतर रहती है। बकौल कुंभकार कृष्णपाल इलेक्ट्रोनिक चाक पर आकार अच्छा आता है।
दीपों की बढ़ती मांग बोले कारीगर
दीपावली के त्यौहार के लिये मिट्टी के दिए बनाने वाले कुम्हारों को अब हाथ से चाक चलाने के झंझट से छुटकारा मिल गया है। वहीं इलेक्ट्रॉनिक चाक से दिए व अन्य मिट्टी का समान भी कम समय में ज्यादा बनता है। इसका सीधा मतलब है, कम समय में अधिक मुनाफा। इस बार दीपावली में लोग चायनीज सामान से किनारा कर रहे हैं। दीपावली पर दीयों की बढ़ती मांग के मद्देनजर शामली में लाखों का कारोबार होगा। इससे इलेक्ट्रॉनिक चाक कारीगर गदगद हैं।
ये बोले कुंभकार
इलेक्ट्रॉनिक चाक हमारे लिए वरदान से कम नहीं है। इसी साल हमने इलेक्ट्रॉनिक चाक बनवाया है। इससे काफी राहत मिल रही है। हमनें करीब डेढ़ लाख दीपक तैयार कर लिए हैं। बाजार में इस बार मांग बढ़ रही है। उम्मीद है कि यह साल कमाई के हिसाब से अच्छा साबित होगा।

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