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भीलवाड़ा: बहन ने भाई को दिया जिंदगी का तोहफा

locationकरौलीPublished: Aug 18, 2016 10:46:00 am

Submitted by:

tej narayan

अखिलेश के लिए अस्थिमज्जा देकर बहन ने तो फर्ज निभा दिया, लेकिन उसके ऑपरेशन के लिए करीब 13 लाख रुपए की जरूरत थी। इस पर ये मामला राजस्थान पत्रिका ने उठाया। महावीर इंटरनेशनल जैनम के सहयोग से फरवरी-मार्च 2014 में अभियान चलाया गया।

रक्षाबंधन जैसे मौकों पर भाई-बहन के त्याग एवं प्रेम की चर्चा हमेशा होती है। एक-दूसरे के लिए सब कुछ बलिदान कर देने की इसी भावना का साक्षात उदाहरण है, जिले के बदनोर निवासी भाई-बहन अखिलेश एवं सृष्टि सेन। बहन ने भाई का जीवन संकट से बचाने के लिए अपने शरीर एक अंश भी उसे दे दिया। यह त्याग समाज के समक्ष एक प्रेरणा बनकर सामने आया है।
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छह वर्षीय सृष्टि का बड़ा भाई आठ वर्षीय अखिलेश जन्म के तीन माह बाद से ही थैलेसीमिया पीडि़त था। हर 15 दिन में उसे रक्त देना होता था। अखिलेश की जिंदगी बचाने के लिए अस्थिमज्जा (बोनमेरो) प्रत्यरोपण की जरूरत थी। इसके लिए छोटी बहन सृष्टि के शरीर का अस्थिमज्जा उससे मिलान (मैच) कर गया। बहन ने अपने शरीर का अंश भाई की जिंदगानी के लिए समर्पित कर दिया। 
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अस्थिमज्जा प्रत्यारोपण दो साल पहले वैल्लूर के क्रिश्चयन मेडिकल कॉलेज में हुआ था। अब अखिलेश बिल्कुल तंदुरूस्त है।उनके पिता नंदकिशोर सेन एवं माता टीना सेन ने बताया कि सृष्टि के शरीर का अंश अखिलेश के शरीर में जाने के बाद दोनो में प्रेम और गहरा हो गया। सेन दम्पती इसे भगवान की कृपा के साथ एवं भाई-बहन के एक दूसरे से गहरे प्रेम का परिणाम मानते हैं। वह दुआ करते है कि रक्षाबंधन पर बहन को हमेशा भाई की कलाई स्नेह का धागा बांधने के लिए मिलती रहे।
पत्रिका की पहल पर जमा हुए थे 13 लाख 

अखिलेश के लिए अस्थिमज्जा देकर बहन ने तो फर्ज निभा दिया, लेकिन उसके ऑपरेशन के लिए करीब 13 लाख रुपए की जरूरत थी। इस पर ये मामला राजस्थान पत्रिका ने उठाया। महावीर इंटरनेशनल जैनम के सहयोग से फरवरी-मार्च 2014 में अभियान चलाया गया। इसी परिणाम रहा कि समाज का हर वर्ग अखिलेश की मददगार हो उठा और 13 लाख रुपए से अधिक की सहायता राशि एकत्रित हो गई। इसी राशि से प्रत्यरोपण हुआ। 

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